एक नये शोध में कहा गया है कि आठ घंटे से कम नींद लेने वाले किशारों की अवसाद तथा आत्महत्या के विचारों से जूझने की अधिक संभावना रहती है.
न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिर्टी के ‘कॉलेज ऑफ फिजिशियंस एंड सर्जन्स’ के वैज्ञानिकों का दावा है कि जो किशोर मध्यरात्रि के बाद सोते हैं, उन्हें अवसाद होने की ज्यादा संभावना रहती है. जो रात में काफी देर तक जागे रहते हैं, उनमें रात 10 बजे ही सो जाने वाले किशारों के मुकाबले खुद को नुकसान पहुंचाने वाले विचार आने की संभावना ज्यादा रहती है.
शोध के शीर्ष लेखक जेम्स गैंगविस्क ने पत्रिका ‘स्लीप’ में लिखा, ‘‘हमारे नतीजे इस सिद्धांत से मेल खाते हैं कि अपर्याप्त नींद अवसाद का जोखिम बढ़ाती है. पर्याप्त और अच्छी नींद अवसाद के खिलाफ एहतियाती उपाय और उसके उपचार का काम करती है.’’ शोधकर्ता अमेरिकी स्कूलों में 12 से 17 वर्ष की उम्र के 15,000 से अधिक विद्यार्थियों और उनके माता पिता पर अध्ययन करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे.