वोटिंग मशीन पर सवाल उठाने वालों के खिलाफ चुनाव आयोग ने अपनी कमर कस ली है. आयोग ने ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को मशीन में छेड़छाड़ कर डाटा बदलने की चुनौती दी है. इसके लिए आयोग जल्द ओपन वर्कशॉप आयोजित करने की योजना बना रहा है.
मशीन से छेड़छाड़ की खुली चुनौती
चुनाव आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बहुत जल्द आयोग उन लोगों को खुली चुनौती देगा, जो ईवीएम को टेंपर करने का दावा कर रहे हैं. इसके लिए विज्ञान भवन जैसी बड़ी जगह पर एक खुली कार्यशाला की जाएगी. इसमें मीडिया और ईवीएम व वीवीपैट को हैक या टेंपर करने के दावेदारों के आगे ईवीएम और वीवीपैट रखे जाएंगे. उनसे कहा जाएगा कि वो जितना समय चाहे लें, लेकिन मशीन से छेड़छाड़ कर मनचाहा डाटा दिखाएं.
दरअसल रोज-रोज के आरोपों से आजिज चुनाव आयोग अब तक तो दस्तावेजी सबूतों के आधार पर ही ईवीएम के वज्रदुर्ग की रक्षा कर रहा था. लेकिन अब जगह-जगह से आ रही कच्ची-पक्की, सोशल मीडिया टाइप वायरल चीजों से आए दिन दो चार हो रहे आयोग ने ये आयोजन करने की ठान ली है.
पहले भी हो चुका है ऐसा आयोजन
इससे पहले भी सन 2004 में चुनाव आयोग ने ऐसी ही एक कार्यशाला आयोजित की थी. उसमें भी कोई ईवीएम को हैक या टेंपर नहीं कर पाया था. लेकिन तब भी बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी समेत कई दिग्गजों ने बुरी तरह चुनाव हारने के बाद ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे.
मशीन पर सवाल उठा रहे राजनीतिक दल
विधान सभा चुनावों में हारने वाले दलों जिनमें कांग्रेस, AAP और अन्य दल शामिल हैं, उन्होंने अब फिर ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं. उनका दावा है कि मशीन तैयार करते वक्त जब प्रोग्रामिंग की जाती है, उसी वक्त डाटा में गड़बड़ी की जा सकती है. यानी फीड में ही खेल किया जाता है, तभी आगे भी मशीन गड़बड़ नतीजे दे सकती है.
चुनाव आयोग ने खारिज किए सभी आरोप
इन आरोपों पर चुनाव आयोग का कहना है कि प्रोग्रामिंग में भी गड़बड़ी मुमकिन नहीं है. ऐसा हो ही नहीं सकता कि पोलिंग एजेंट को चेक कराते वक्त मशीन दूसरा नतीजा दे और वोटिंग के समय दूसरा नतीजा दे. चुनाव आयोग ने चुनौती दी है कि ऐसे आरोप लगाने वाले अपनी बात साबित करें.