शुक्रवार को चुनाव आयोग के साथ होने वाली सर्वदलीय बैठक में वैसे तो ईवीएम मशीन का मुद्दा छाया रहेगा. ईवीएम मशीन को लेकर सबसे आक्रामक रुख आम आदमी पार्टी अपनाएगी. आम आदमी पार्टी की तरफ से इस बैठक में भाग लेने वाले सौरभ भारद्वाज बैठक में यह मांग रखेंगे कि इवीएम मशीन कि गहराई से जांच करने के लिए एक कमेटी बनाई जाए जिसमें सभी पार्टियों के लोग शामिल हों. लेकिन ईवीएम मशीन के सवाल पर बाकी विपक्षी पार्टियों से आम आदमी पार्टी को आधा-अधूरा समर्थन ही मिलेगा.
बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसे दल ईवीएम मशीन पर आम आदमी की पार्टी के साथ खड़े होंगे. कांग्रेस कुछ हद तक ईवीएम का सवाल उठाएगी. लेकिन, इसको लेकर आक्रामक रुख नहीं अपनाएगी. कांग्रेस की तरफ से इस बैठक में विवेक तनखा, दीपक अमीन और विपुल महेश्वरी शामिल होंगे. लेकिन लेफ्ट पार्टियां और जनता दल यूनाइटेड जैसे दल यह साफ कह रहे हैं कि चुनाव नतीजों के लिए ईवीएम मशीन को जिम्मेदार ठहराना वो सही नहीं मानते. हालांकि पेपर ट्रेल वाली ईवीएम मशीन लाने पर ज्यादातर पार्टियों की सहमति है.
शुक्रवार की सर्वदलीय बैठक में चुनाव आयोग पार्टियों के सामने दो ऐसे प्रस्ताव भी रखने जा रहा है जिस पर अगर सहमति बन गई तो देश में चुनाव की पूरी तस्वीर ही बदल सकती है. चुनाव आयोग वोट को प्रभावित करने के लिए रिश्वत देने के अपराध को कॉग्निजेबल ऑफेंस यानी संज्ञेय अपराध बनाने की मांग करेगा. इसका मतलब यह हुआ कि पुलिस रिश्वत देने के आरोप में किसी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है. चुनाव आयोग ये भी मांग करेगा कि बड़े पैमाने पर रिश्वत की शिकायत आने पर किसी सीट पर चुनाव रद्द करने का अधिकार भी उसे मिले. फिलहाल सिर्फ बूथ लुटे जाने पर चुनाव आयोग को चुनाव रद्द करने का अधिकार उसके पास है.
चुनाव आयोग पार्टियों के सामने जो दूसरी मांग रखेगा अगर वह पूरी हो जाती है तो चुनाव की तस्वीर काफी कुछ बदल जाएगी और कई नेता राजनीति में दरकिनार हो जाएंगे. चुनाव आयोग यह प्रस्ताव रखेगा कि अदालत द्वारा आरोप तय कर दिए जाने के बाद ही किसी नेता के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लग जाए. मौजूदा कानून के हिसाब से किसी नेता के चुनाव लड़ने पर तभी पाबंदी लगती है जब अदालत उसे दोषी घोषित कर दे. चुनाव आयोग का मानना है कि अगर आरोप तय होने के बाद ही चुनाव लड़ने पर पाबंदी लग जाए तो चुनाव काफी साफ सुथरा हो जाएगा क्योंकि कई बार मुकदमा लंबा खिंचने का फायदा अपराधिक छवि वाले नेता लंबे समय तक उठाते रहते हैं.
इन दोनों प्रस्तावों को लेकर पार्टियों की राय अलग-अलग है. सीपीएम के नेता प्रकाश करात का कहना है कि रिश्वत देने पर चुनाव रद्द करने का अधिकार चुनाव आयोग को मिलना चाहिए क्योंकि वोटों के लिए रिश्वत देना आम बात हो गई है. लेकिन सिर्फ आरोप तय हो जाने पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाने के वह खिलाफ हैं. सीपीएम बैठक में यह दलील देगी कि अगर ऐसा हुआ तो सत्ताधारी पार्टी चुनाव के पहले विपक्ष के नेताओं पर झूठे मुकदमे लगाकर उन्हें चुनाव से बाहर कर सकती है.
जनता दल यूनाइटेड की तरफ से सर्वदलीय बैठक में भाग लेने जा रहे केसी त्यागी का कहना है कि चुनाव आयोग के दोनों प्रस्तावों का उनकी पार्टी बैठक में समर्थन करेगी.
वोटरों को रिश्वत देने का आरोप तमाम पार्टियां एक-दूसरे पर लगाती रहती हैं. लेकिन इसके आधार पर चुनाव रद्द करने का अधिकार चुनाव आयोग को देने के लिए पार्टियां तैयार होगी या नहीं कहना मुश्किल है.
चार्जशीट दाखिल होने पर चुनाव लड़ने पर रोक एक ऐसा प्रस्ताव है जिसको लेकर शायद ही से सहमति बन पाए. क्योंकि आरजेडी जैसे कई ऐसे दल हैं जिन के बड़े नेता मुकदमों में फंसे हुए हैं.
इसी सर्वदलीय बैठक में चुनाव आयोग ये भी तय करेगा कि ईवीएम मशीन को हैक करने के लिए खुला चैलेंज किस तरह से दिया जाए और इसकी कौन सी तारीख हो.