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चुनाव आयोग ने नरेंद्र मोदी की 'खूनी पंजा' टिप्पणी को नामंजूर किया

चुनाव आयोग ने नरेंद्र मोदी द्वारा छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान की गई ‘खूनी पंजा’ टिप्पणी को नामंजूर कर दिया और उनसे भविष्य में सार्वजनिक संवाद के दौरान अधिक सतर्क रहने को कहा.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

चुनाव आयोग ने नरेंद्र मोदी द्वारा छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान की गई ‘खूनी पंजा’ टिप्पणी को नामंजूर कर दिया और उनसे भविष्य में सार्वजनिक संवाद के दौरान अधिक सतर्क रहने को कहा. मोदी की टिप्पणी पर कड़ा संज्ञान लेते हुए आयोग ने कहा कि वह आचार संहिता उल्लंघन के लिए अपने नोटिस के जवाब में मोदी के स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं है.

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चुनाव आयोग ने मोदी से कहा कि राजनीतिक विपक्षियों के संदर्भ में 'खूनी पंजा' और 'जालिम हाथ' जैसी टिप्पणियां शालीन राजनीतिक वक्तव्यों के लिहाज से घातक समझी जाती हैं. चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों तथा संदर्भ के तहत आपके द्वारा अपने जवाब में दिए गए तर्कों को लेकर आयोग मामले में अपनी नापसंदगी व्यक्त करता है और उम्मीद करता है कि भविष्य में आप अपने सार्वजनिक संवाद के दौरान अधिक सतर्क रहेंगे.

कांग्रेस ने दर्ज कराई थी शिकायत
कांग्रेस ने मोदी की टिप्पणियों को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी क्योंकि ‘हाथ’ उसका चुनाव चिह्न है. आयोग ने तीन पृष्ठ के आदेश में नेताओं पर निजी हमलों के मामले में सार्वजनिक संवाद की भाषा को लेकर अपनी चिंता तथा कड़े मानकों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया और मोदी से कहा कि यह आपके रुख को स्वीकार नहीं करता.

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'राजनीतिक दलों की अभिव्यक्ति में हो शालीनता'
चुनाव आयोग ने कहा, ‘आयोग का मानना है कि राजनीतिक दलों की नीतियों, कार्यक्रमों और पिछले रिकॉर्ड की आलोचना करते समय अभिव्यक्ति और कथन, चाहे बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल किया गया हो, ऐसा होना चाहिए जिसमें शालीनता, गरिमा और सार्वजनिक नैतिकता कायम रहे.’ आदेश में कहा गया, ‘जब आपके लहजे, आशय और 'खूनी पंजा' और 'जालिम हाथ' शब्द के इस्तेमाल को आपके पूरे भाषण के परिप्रेक्ष्य में पढ़ा जाए तो संदेह के लिए कोई गुंजाइश नहीं बचती कि यह शिकायतकर्ता पार्टी और इसके चुनाव चिह्न के संदर्भ में है और यह आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन है.’ आयोग ने कहा कि उसने मोदी के आश्वासन पर गौर किया है कि एक जिम्मेदार नेता के तौर पर वह सभी नियमों-दिशानिर्देशों को लेकर तथा चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता के लिए प्रतिबद्ध हैं और उम्मीद है कि वह भविष्य में अपनी बात पर कायम रहेंगे. आयोग ने कहा कि संविधान में बोलने और अभिव्यक्ति का बुनियादी अधिकार दिया गया है लेकिन इसका पालन इस तरह किया जाना चाहिए कि यह शिष्टता और नैतिकता की सीमाओं को पार नहीं करे या मानहानि नहीं करे या सार्वजनिक व्यवस्था नहीं बिगाड़े.

मोदी ने आचार संहिता के उल्लंघन से किया था इनकार
मोदी ने आयोग के नोटिस पर नौ पन्नों के जवाब में अपने ‘खूनी पंजा’ वाले बयान को लेकर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की बात से इनकार किया था. मोदी ने कहा था कि उन्होंने कांग्रेस की नीतियों और कामकाज की आलोचना करते हुए केवल अपने बोलने की आजादी के अधिकार का प्रयोग किया है और इस तरह किसी आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया.

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मोदी ने कहा, ‘मेरा स्पष्ट मानना है कि मैंने कथित प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया.’ उन्होंने अपने जवाब में लिखा था कि वह भी काफी आलोचनाओं का शिकार हुए हैं और उनके खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया है लेकिन उन्होंने राजनीतिक विचारों की मर्यादा को बनाये रखा और अपने विरोधियों पर निजी हमला नहीं किया है.

मोदी के मुताबिक उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ असभ्‍य तरीके से आरोप नहीं लगाया और उन्होंने जो कहा वह असत्यापित नहीं है तथा पूरी तरह सार्वजनिक है. उन्होंने कहा कि विरोधी की आलोचना चुनाव के दौरान अवश्यंभावी है और ‘खूनी पंजा’ और ‘जालिम हाथ’ वाले बयान हिंद की लोकप्रिय लोकोक्तियां हैं जिनका इस्तेमाल केवल अलंकारिक रूप से किया गया.

मोदी ने कहा था, ‘इसे केवल बोलने के अलंकार के तौर पर इस्तेमाल किया गया है.’ चुनाव आयोग ने मोदी के बयान पर 13 नवंबर को नोटिस जारी कर उन्हें 20 नवंबर तक जवाब देने को कहा था.

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