मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने शनिवार को कहा कि निर्वाचन आयोग यह समझाने और आश्वस्त करने के लिए सभी राजनीतिक दलों की जल्द एक बैठक बुला सकता है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को हैक नहीं किया जा सकता.
नसीम जैदी ने कहा, 'हम राजनीतिक दलों को यह बताने के लिए जल्द ही उनकी एक बैठक बुला सकते हैं कि हमारे EVM के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और वे हमारे प्रशासनिक व तकनीकी सुरक्षा प्रणाली के अनुसार सुरक्षित हैं.'
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग अधिक पारदर्शिता और निर्वाचन प्रक्रिया में मतदाताओं का भरोसा बहाल करने के लिए EVM के साथ वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रैल (वीवीपीएटी) इकाइयां लगाने का इरादा रखता है.
वीवीपीएटी से एक स्लिप निकलती है, जिससे पार्टी और उम्मीदवार इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि किसी व्यक्ति ने उन्हें वोट दिया, यह स्लिप भविष्य के संदर्भ के लिए ईडीसी के रिकॉर्ड में रखी जाती है.
सरकार ने इस महीने के प्रारंभ में निर्वाचन आयोग द्वारा मांगी गई 16.15 लाख वीवीपीएटी खरीदने के लिए 3,173.47 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की थी. निर्वाचन आयोग ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को इसके लिए ठेके भी दे दिए हैं, और उम्मीद है कि मशीनें सितंबर 2018 तक आ जाएंगी.
पांच राज्यों में हाल के विधानसभा चुनावों के बाद कई विपक्षी दलों ने ईवीएम की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राज्य निर्वाचन आयोग से आग्रह किया था कि नगर निगम का चुनाव ईवीएम के बदले बैलट पेपर से कराए जाएं.
निर्वाचन आयोग भी वोटिंग मशीनों के बारे में सभी संदेह मिटाने के लिए सभी घटकों को खुली चुनौती देने की योजना बना रहा है कि वे ईवीएम को हैक करके दिखाएं.