त्रिपुरा में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव का बजट वर्ष 2008 में हुए चुनाव की तुलना में दोगुना से अधिक है.
त्रिपुरा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) आशुतोष जिंदल ने अगरतला में संवाददाताओं को बताया, वर्ष 2008 में त्रिपुरा विधानसभा चुनाव का बजट आठ करोड़ रुपये था, लेकिन 14 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए यह 20 करोड़ हो गया है.'उन्होंने कहा, 'त्रिपुरा में 60 विधानसभी सीटें हैं, प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव कराने पर लगभग 33.33 लाख रुपये का खर्च आएगा'.
चुनाव खर्च में हुई इस भारी वृद्धि का मुख्य कारण कागज की कीमत और परिवहन लागत में बढ़ोत्तरी है. परिवहन लागत बढ़ने से चुनावों के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैनात किए जाने वाले अर्द्धसैनिक बलों को लाने की लागत भी बढ़ गई है. साथ ही प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों के भत्ते भी बढ़ गए हैं.
चुनाव आयोग ने पूर्वोत्तर के तीन चुनावी राज्यों में प्रति उम्मीदवार अधिकतम खर्च सीमा आठ लाख रुपये निर्धारित की है. अधिकारी ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने प्रत्येक जिले में उम्मीदवारों व उनकी पार्टी के खर्च की निगरानी और किसी अवैध आर्थिक सौदेबाजी की निगरानी के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं.
अधिकारी ने बताया कि 2008 चुनावों के दौरान अयोग्य घोषित किए गए कुल 37 उम्मीदवारों को छह वर्षो तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. वाम शासित त्रिपुरा (14 फरवरी) के अलावा पूर्वात्तर के दो और राज्यों, मेघालय और नागालैंड में 23 फरवरी को चुनाव होने हैं. तीनों राज्यों के चुनाव परिणामों की घोषणा 28 फरवरी को होगी.