समाजवादी पार्टी के दोनों धड़े साइकिल चुनाव चिह्न को अपने पाले में करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सच यह भी है कि मुख्यमंत्री अखिलेश ने इस मामले में अपना प्लान बी यानी दूसरा विकल्प तैयार कर लिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक अगर उनके उम्मीदवारों को साइकिल चुनाव चिह्न नहीं मिलता, तो वह स्वर्गीय चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय-SJP-R)का सिम्बल ले सकते हैं.
गौरतलब है कि चुनाव आयोग द्वारा साइकिल चुनाव चिह्न को फ्रीज करने के आसार भी जताए जा रहे हैं. स्वर्गीय प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पार्टी उत्तर प्रदेश में 'पेड़' चुनाव चिह्न के साथ चुनाव लड़ती रही है. SJP-R के मौजूदा अध्यक्ष कमल मोरारका ने उत्तर प्रदेश में अखिलेश के उम्मीदवारों को अपना सिम्बल देने की पेशकश भी कर दी है. अखिलेश खेमे के एक सपा नेता ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, 'हमने यह सुना है कि कमल मोरारका ने अखिलेश यादव से इस बारे में बातचीत की है. वैसे हमें उम्मीद है कि चुनाव आयोग हमारे पक्ष में आदेश देगा, क्योंकि हमारी बैठक में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के ज्यादातर सदस्य और विधायक मौजूद थे.'
उन्होंने कहा कि अखिलेश पार्टी संविधान के मुताबिक अध्यक्ष बने हैं और उनके पास पर्याप्त संख्याबल है. हालांकि, प्लान बी पर चलने में अखिलेश के लिए एक मुश्किल यह है कि इससे अखिलेश खेमे का यह दावा कमजोर पड़ेगा कि वही असली समाजवादी पार्टी हैं और साइकिल चुनाव चिह्न उनका है.
अखिलेश खेमे के जो नेता मोरारका के संपर्क में हैं, उनका चंद्रशेखर से भी जुड़ाव रहा है. गौरतलब है कि SJP-R के संस्थापक चंद्रशेखर अपने निधन 8 जुलाई, 2007 तक इस पार्टी के अध्यक्ष रहे. वह इस पार्टी के एकमात्र सांसद थे.
पार्टी का गठन 5 नवंबर 1990 को हुआ था, जब चंद्रशेखर और हरियाणा के नेता देवी लाल 60 सांसदों के साथ जनता दल से अलग हो गए थे और कांग्रेस के समर्थन से उन्होंने केंद्र में सरकार बनाई थी. कमल मोरारका चंद्रशेखर सरकार में मंत्री थे. चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर राज्यसभा के सांसद हैं और वह भी अखिलेश यादव के विश्वासपात्र लोगों में हैं.