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राष्ट्रीय राजधानी में महंगी हो सकती है बिजली

राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की दर बढ़ाने की लगभग तैयारी हो चुकी है. मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इस आशय का संकेत पहले ही दे चुकी हैं जब उन्होंने कहा कि लोग बिजली के लिए अधिक पैसा चुकाने को तैयार रहें.

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राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की दर बढ़ाने की लगभग तैयारी हो चुकी है. मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इस आशय का संकेत पहले ही दे चुकी हैं जब उन्होंने कहा कि लोग बिजली के लिए अधिक पैसा चुकाने को तैयार रहें.

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दिल्ली के बिजली नियामक डीईआरसी ने बिजली वितरण के काम में लगी कंपनियों की बैलेंसशीट की जांच करने के बाद नयी शुल्क दर (2010-11) को अंतिम रूप दिया है. ये कंपनियां बिजली दरें 40 प्रतिशत तक बढ़ाने की मांग कर रही हैं.

राष्ट्रमंडल खेल परियोजनाओं पर भारी लागत का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार पिछले छह माह में बस किराया, पानी का शुल्क बढ़ा चुकी है जबकि एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी को वापस लिया गया है और अनेक उत्पादों पर वैट बढाया गया है. सरकार ने पिछले साल विभिन्न ग्राहक श्रेणियों को देय बिजली सब्सिडी वापस ले ली ताकि लगभग 1000 करोड़ रुपये की बचत की जा सके.

जो संकेत मिल रहे हैं उनके अनुसार डीईआरसी उन ग्राहकों पर बोझ नहीं डालेगा जिनकी मासिक खपत 300 मेगावाट तक है. इससे अधिक खपत वाले ग्राहकों के लिए शुल्क दर में अच्छी खासी बढोतरी की जा सकती है. दिल्ली में बिजली की मांग फिलहाल 3,700 से 4,100 मेगावाट के बीच है. केंद्रीय कोटे से दिल्ली को 2,200 मेगावाट बिजली मिलती है जबकि 1,000 मेगावाट बिजली यहां के बिजली संयंत्र से आती है. इस तरह से डिस्काम को 8,00-1,000 मेगावाट बिजली खुले बाजार से खरीदनी पड़ती है.

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