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हाथी चुनाव चिन्ह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं: बसपा

इन आरोपों को गलत बताते हुए कि उत्तर प्रदेश में स्थापित की गई हाथी की प्रतिमायें उसके चुनाव चिन्ह से मिलती है, बहुजन समाज पार्टी ने आज चुनाव आयोग से कहा कि स्वागत की मुद्रा में हाथी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है.

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इन आरोपों को गलत बताते हुए कि उत्तर प्रदेश में स्थापित की गई हाथी की प्रतिमायें उसके चुनाव चिन्ह से मिलती है, बहुजन समाज पार्टी ने आज चुनाव आयोग से कहा कि स्वागत की मुद्रा में हाथी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है.

बसपा ने चुनाव आयोग को दिये अपने जवाब में कहा ‘‘स्वागत की मुद्रा में खड़े ये हाथी भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और स्वागत की मुद्रा में खड़े इन हाथियों एवं पार्टी के चुनाव चिन्ह के बीच कोई समानता नहीं है.

इससे पहले चुनाव आयोग के समक्ष तीन याचिकायें दाखिल की गई थीं जिनमें आरोप लगाया गया था कि मायावती सरकार ने जानबूझकर राज्य में अनेक स्मारकों पर हाथियों की प्रतिमायें स्थापित की है.

बसपा ने अपने तर्क में कहा कि अगर उसके हाथी चुनाव चिन्ह पर आपत्ति की जा रही है तब तो उस आधार पर एक राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते भाजपा को भी अपने राजनीतिक चिन्ह के रूप में कमल का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि यह सीधे उसे धार्मिक पौराणिक गाथा से जोड़ता है और स्थायी आधार पर मतदाताओं के दिलो दिमाग को प्रभावित करता है.

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पार्टी ने अपने जवाब में कांग्रेस को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हाथ चुनाव चिन्ह के साथ पार्टी के नेता हाथ हिलाकर हर किसी का का अभिवादन करते हैं.

चुनाव आयोग को जवाब सौंपने के बाद बसपा के महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी के चुनाव चिन्ह को जब्त करने की मांग संबंधी याचिकायें विचार करने योग्य नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाये गये बिन्दु निराधार हैं.
मिश्रा ने आरोप लगाया कि याचिका जनहित में नहीं है और राजनीतिक दलों द्वारा प्रेरित हैं जो बसपा के बढते कद से असुरक्षित महसूस कर रही है . उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की कि इन याचिकाओं को रद्द कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने पार्टी के तर्कों को सुना और इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को अपने अपने जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया.

बसपा ने चुनाव आयोग को अपने जवाब में कहा कि प्रतिमाओं की स्थापना चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा किये जाने के बाद आचार संहिता लागू होती है और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक यह लागू रहती है.

बसपा प्रमुख और उततर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की प्रतिमा लगाये जाने के बारे में पार्टी ने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे दिवंगत प्रधान मंत्रियों की प्रतिमायें अनेक स्थानों पर लगाई गयी हैं . इसलिये इनमें और मायावती की प्रतिमा लगाये जाने में कोई अंतर नहीं है.

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