दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की जमीन पर अतिक्रमण के लिए प्राधिकरण की खिंचाई की और कहा कि वह इस स्थिति के लिए खुद जिम्मेदार है. कोर्ट ने कहा कि डीडीए ने इस मसले पर ऐहतियाती कदम नहीं उठाए.
जस्टिस वीके शाली ने वसंत कुंज में एक झुग्गी बस्ती के घरों को ढहाने के डीडीए के फैसले के खिलाफ झुग्गी निवासियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘जिस समय पहला अतिक्रमण हुआ, आपको ऐहतियाती कार्रवाई करनी चाहिए थी. यह आपके द्वारा खुद बनाई गई स्थिति है.’
अदालत ने डीडीए को एक हलफनामा पेश करने तक झुग्गी बस्ती को नहीं ढहाने का निर्देश दिया. डीडीए को इस हलफनामे में बताना होगा कि उसने पुनर्वास के लिए योग्य निवासियों की पहचान करने के लिए क्षेत्र का सर्वेक्षण किया या नहीं.
अदालत ने डीडीए को हलफनामे में यह बताने का आदेश दिया कि उसने सर्वेक्षण कराया था या नहीं, उसने झुग्गी ‘दलित एकता कैंप’ को हटाने के संबंध में क्या नीति अपनाई है और उसने इस तरह की झुग्गियां हटाने के संबंध में अदालत के वर्ष 2010 के दिशानिर्देशों का पालन किया या नहीं.
इनपुट-भाषा