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इंजीनियरिंग: शिखर पर काबिज है आइआइटी-दिल्ली

एक बार फिर प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) ने इंजीनियरिंग संस्थानों में अपनी श्रेष्ठता साबित की है, वहीं आइआइटी-दिल्ली पिछले साल की तरह शिखर पर काबिज है.

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एक बार फिर प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) ने इंजीनियरिंग संस्थानों में अपनी श्रेष्ठता साबित की है, वहीं आइआइटी-दिल्ली पिछले साल की तरह शिखर पर काबिज है. आइआइटी-कानपुर को तीसरे क्रम पर धकेलते हुए दो कदम ऊपर उठकर आइआइटी-खड़गपुर ने सूची में दूसरे स्थान पर अपनी जगह बनाई है. आइआइटी-गुवाहाटी अपवाद साबित हुआ है और वह सातवें स्थान से खिसककर नौवें स्थान पर आ गया है. थोड़े अंतराल के बाद सर्वेक्षण में शामिल हुआ बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ऐंड साइंसेज (बिट्स), पिलानी छलांग लगाते हुए सातवें स्थान पर है और वह सर्वश्रेष्ठ निजी इंजीनियरिंग संस्थान के रूप में भी उभरा है.

दूसरे स्थान पर आइआइटी-खड़गपुर
आइआइटी-दिल्ली जहां प्रतिष्ठा, अकादमिक स्तर, बुनियादी ढांचा और रोजगार की संभावना के लिहाज से यह संस्थान अव्वल है, वहीं विद्यार्थियों की देखभाल के लिहाज से दूसरे स्थान पर है. हालांकि इससे उसके अवधारणात्मक और तथ्यात्मक अंकों के साथ उसके शीर्ष क्रम पर होने से फर्क नहीं पड़ा है. इन सभी श्रेणियों में से प्रत्येक में पांच अंक लेकर आइआइटी-खड़गपुर अवधारणात्मक रैंकिंग में दूसरे स्थान पर है और इस तरह उसने आइआइटी-कानपुर को पीछे धकेल दिया है, जिसे इन श्रेणियों में चार अंक मिले हैं लेकिन वह तथ्यात्मक रैंकिंग में छठे स्थान पर है.

विकल्पों की कमी नहीं
आइआइटी-दिल्ली की इस कामयाबी का मंत्र है सशक्तिकरण-फिर चाहे वह अकादमिक बिरादरी हो, छात्र हों, शोधार्थी हों या फिर शिक्षक. अंडरग्रेजुएट्स के लिए जहां मुक्त श्रेणी या विकल्पों की व्यापक फलक है वहीं इस वर्ष स्नातकोत्तर स्तर पर एटमॉस्फिरिक, अर्थ ऐंड ओसियन साइंसेज में एक एमटेक प्रोग्राम और मेट्रो रेल ट्रांसर्पोटेशन में डिप्लोमा कोर्स को शामिल किया गया है. आइआइटी-दिल्ली के निदेशक सुरेंद्र प्रसाद कहते हैं, ''हमने शोध संबंधी दृष्टिकोण में खासा विकास किया है. इस साल से हम अपने शोध संबंधी खर्च के मद्देनजर 100 करोड़ रु. का आंकड़ा पार कर जाएंगे.''

बेहतर शोध संरचना
दुनिया भर की वैज्ञानिक बिरादरी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए यह संस्थान हर वर्ष अपनी शोध संबंधी संरचना को बेहतर बनाता जाता है और बेहतरीन उपकरण हासिल करता है. पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज ऐंड रिसर्च के डीन एम. बालाकृष्णन के मुताबिक आइआइटी-दिल्ली जिन वजहों से सबसे अलग है उसमें एक अहम कारक उसके शानदार शिक्षक भी हैं. अपने शिक्षकों के सशक्तिकरण और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए संस्थान ने 'आउटस्टैंडिंग यंग फैकल्टी फैलोशिप' जैसे पुरस्कार शुरू किए हैं और यात्रा और शोध संबंधी अनुदान में भी वृद्धि की है.

समर स्टुडेंट इंटर्नशिप
इसके अलावा इसने दूसरे इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों और शिक्षकों के लिए 'समर स्टुडेंट इंटर्नशिप' और 'समर फैकल्टी फैलोशिप' जैसी पहल भी की हैं. सुरेंद्र प्रसाद स्पष्ट करते हैं, ''इससे उन्हें आइआइटी के अनुभव से रू-ब-रू होने का मौका मिलता है और इससे शोध और आविष्कार को बढ़ावा मिलता है.''

संपूर्ण विकास पर जोर
यह कॉलेज छात्रों के संपूर्ण विकास पर जोर देता है और यही इसकी सफलता का सूत्र है. इसके लिए छात्रों को क्लासरूम के भीतर और बाहर दोनों जगह उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा दी जाती है. संभवतः यही वजह है कि यहां के अधिकांश छात्र जीवन में नेतृत्व की कमान संभालते हैं. सुरेंद्र प्रसाद कहते हैं, ''उद्योग का थोड़ा अनुभव हासिल करने के बाद हमारे 50 फीसदी से ज्‍यादा छात्र उद्यमी बन जाते हैं.''{mospagebreak}संस्थान में एक उद्यमिता विकास प्रकोष्ठ (ईडीसी,आइआइटी-डी) है, विद्यार्थियों में उद्यमिता को बढ़ावा देना और व्यापक संसाधनों का निर्र्माण करना उसका लक्ष्य है. संस्थान का एक विशेष प्रशिक्षण और प्लेसमेंट सेल इसी सत्र में दिसंबर से प्लेसमेंट शुरू कर देगा. परिसर में मौज-मस्ती भी कम नहीं होती. मसलन यहां राष्ट्रीय स्तर के रेंदेवू, ट्रायस्ट ऐंड स्पोर्ट्रेक जैसे आयोजन होते हैं, जिनमें देश भर के विद्यार्थी हिस्सा लेते हैं. लेकिन आइआइटी-दिल्ली इंजीनियरिंग शिक्षा और शोध के मामले में उत्कृष्टता का अपना ताज आइआइटी-खड़गपुर और आइआइटी-कानपुर के हाथों न लगने देने के लिए कृतसंकल्प लगता है.

निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए आदर्श है पिलानी
इस साल के सर्वेक्षण में बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी ऐंड साइंसेज (बिट्सर्) पिलानी दूसरे निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए आदर्श बनकर उभरा है जिसका वे अनुकरण कर सकते हैं. राजस्थान के शुष्क रेगिस्तानी इलाके में 1946 में स्थापित इस संस्थान की कई दशकों से साख बनी हुई है. निजी क्षेत्र की मदद से संचालित होने वाले इस कॉलेज को चुनींदा सरकारी परियोजनाओं के लिए केंद्रीय अनुदान मिलता है. इसके बावजूद इस कॉलेज ने चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखी है और पाठ्यक्रम के संचालन में उदारता बरतता है.

ऑनलाइन परीक्षा
वर्ष 2004 तक संस्थान 12वीं की परीक्षा के अंकों के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करता था लेकिन जब उसने पाया कि अधिकांश सीटें कुछ राज्‍यों के ही खाते में चली जाती हैं तब उसने 2005 से अपनी खुद की ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा शुरू कर दी जो कि अब बिटसैट के नाम से प्रसिद्ध हो चुकी है. उम्मीदवार प्रवेश परीक्षा के लिए नियत 40 दिनों में से किसी भी दिन देशभर में स्थित 20 केंद्रों में से किसी में भी तीन पालियों में से किसी भी पाली में जाकर ऑनलाइन परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. इससे आवेदनकर्ताओं को किसी अन्य प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की सुविधा मिल जाती है.

2,000 सीटों के लिए करीब 1.20 लाख उम्मीदवार
यहां की 2,000 सीटों के लिए करीब 1.20 लाख उम्मीदवार शामिल होते हैं. परीक्षा देने के साथ ही केंद्र में ही उम्मीदवारों को उन्हें मिले अंकों की जानकारी मिल जाती है. केंद्र में विद्यार्थियों की तस्वीरें कैमरे में रिकॉर्ड करने की सुविधा होती है ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो. इससे संस्थान को सभी राज्‍यों से सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार चुनने में मदद मिलती है.

बोर्ड परीक्षाओं में अव्वल आने वाले छात्रों के लिए सीटें आरक्षित
बिट्स में प्रबंधन और आरक्षण कोटा नहीं है बल्कि सिर्फ संबंधित बोर्ड परीक्षाओं में अव्वल आने वाले छात्रों के लिए सीटें आरक्षित हैं. संस्थान में अनूठी व्यवस्था है जिसके जरिए छात्रों को शिक्षकों के साथ ही कक्षाएं लगाने के समय तय करने तक का अधिकार है. बिट्स के कुलपति एल.के. माहेश्वरी कहते हैं, ''चयन में पारदर्शिता, अध्यापन में लचीलापन और प्रत्येक डिग्री कोर्स के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण की व्यवस्था ये सब ऐसी चीजें हैं, जिन्होंने बिट्स को आला दर्जे का बनाया है.''

प्रशिक्षण के लिए विदेश जाने का मौका
औद्योगिक साझेदारी के जरिए छात्रों को प्रशिक्षण के लिए विदेश जाने के भी मौके मिलते हैं और प्रशिक्षण की जगह पर बिट्स के शिक्षक भी मौजूद रहते हैं. इस प्रशिक्षण के लिए बिट्स ने 150 कंपनियों के साथ हाथ मिलाया है. मजबूत फैकल्टी के अलावा मोटोरोला और आइबीएम जैसी कंपनियों ने यहां अपनी प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं.

रेगिस्तान में नखलिस्तान है बिट्स
विभिन्न स्तरों पर उद्योग के साथ बिट्स के मजबूत संबंधों ने उसे बेस्ट कॉर्पोरट-यूनिवर्सिटी एलायंस अवार्ड से भी नवाजा है. अब इसने दुबई, गोवा और हैदराबाद में भी अपने कैम्पस खोल लिए हैं. माहेश्वरी स्पष्ट करते हैं, ''ये एक ही संस्थान के कैम्पस हैं न कि अलग-अलग संस्थान हैं.'' डिप्टी डायरेक्टर, एकेडेमिक जी. रघुराम बताते हैं कि किस तरह हर स्तर पर उद्यमिता और नेतृत्व निर्माण कौशल को आत्मसात करने के लिए जोर दिया जाता है ताकि मजबूत निर्णय लेने वाले व्यक्तित्व का निर्माण हो. वाकई भारत के इस दूरस्थ क्षेत्र में बिट्स रेगिस्तान में नखलिस्तान (ओएसिस) की तरह चमक रहा है और इत्तफाक से इसके सांस्कृतिक उत्सव का भी यही नाम है. -साथ में रोहित परिहार

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