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वही हुआ जो मोदी ने चाहा, नमो के खिलाफ उतरी पूरी कांग्रेस

कांग्रेस ने शनिवार को फूड सिक्योरिटी बिल पर बड़ी बैठक की थी और तय ये हुआ था कि सोमवार से कांग्रेस के तमाम प्रवक्ता देशभर में इसी का डंका बजाएंगे, लेकिन उसकी जगह नरेंद्र मोदी ने ले ली.

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मोदी वर्सेज कांग्रेस
मोदी वर्सेज कांग्रेस

वही हुआ जो मोदी चाहते थे. कांग्रेस के ऑफिस में सोमवार को हर जगह बस गुजरात के मुखयमंत्री नरेंद्र मोदी की चर्चा थी. मोदी यही तो चाहते थे. पुणे में मोदी ने वार किया तो कांग्रेस तिलमिला गयी और मोदी की हर बात का जवाब दिया, लेकिन इन सब में ये भूल गये कि मोदी का जाल भी तो यही था, जिसमें कांग्रेस फंस गयी.

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कांग्रेस ने शनिवार को फूड सिक्योरिटी बिल पर बड़ी बैठक की थी और तय ये हुआ था कि सोमवार से कांग्रेस के तमाम प्रवक्ता देशभर में इसी का डंका बजाएंगे, लेकिन उसकी जगह नरेंद्र मोदी ने ले ली.

यूं तो कांग्रेस की नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस चार बजे होती है, लेकिन 'नमो'निया से घबरायी कांग्रेस ने सुबह 12 बजे ही मोदी पर हमला शुरू कर दिया. कांग्रेस के प्रचार प्रमुख अजय माकन ये छुपा भी नहीं पाये कि मोदी की हर जगह तस्वीर से कांग्रेस तिलमिला गयी है. प्रेस से रूबरू होने की पहली ही लाइन में अजय माकन बोल गये कि मीडिया ने रविवार को मोदी को खूब दिखाया, इसलिए वो जवाब दे रहे हैं. माकन ने कहा, 'मोदी साहब को लेकर मीडिया ओवर एंथीउस्टिक है, इसलिए हम जवाब दे रहे हैं ताकि हमारी बात भी जाये.'

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ये वही कांग्रेस है जिसने तय किया था कि वो मोदी को अहमियत नहीं देगी और न ही मोदी की बातों का दिल्ली से जवाब दिया जायेगा. तय ये भी हुआ था कि मोदी का जवाब गुजरात के कांग्रेसी नेता ही देंगे, लेकिन मोदी कांग्रेस को अपनी पिच पर खींचने में कामयाब रहे. पिच भी गुजरात की. कांग्रेस ने अपने ही मंच से बार-बार मोदी और गुजरात का नाम लिया और लड़ाई को मोदी बनाम कांग्रेस और गुजरात बनाम देश कर दिया. रातभर कांग्रेस के नेता जाग-जागकर आंखें फाड़े रहे और आंकड़े निकालते रहे, जिसमें देश और गुजरात की तुलना कर सकें.

सोमवार को कांग्रेस के कुल 21 नेताओं ने मोदी पर हमला किया. मोदी अकेले और उनके मुकाबले पूरी कांग्रेस. कई नेता तो मोदी को नकारते रहे, लेकिन बोले जरूर. शायद सोच रहे होंगे कि मोदी पर बोलेंगे तो नंबर 21 से कहीं ज्यादा हो जाएंगे.

जैसे दिगिवजय सिंह ने कहा हम मोदी को अहमियत नहीं देते, लेकिन मोदी को साफ करना चाहिये कि धर्मनिरपेक्षता की उनकी परिभाषा क्या है. सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मोदी राजनीति को सांप्रदायिक रंग में बांटना चाहते हैं, ताकि देश में ध्रुवीकरण हो.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, जिन्होंने मोदी को भाव नहीं देने की रणनीति बनाई थी, कसमसाते नजर आये. कई का मानना था कि मोदी भले बदनाम होंगे, पर उनका नाम तो होगा. कांग्रेस के नेता शायद इस बात पर खुश होंगे कि मोदी का जमकर जवाब दिया गया, लेकिन मोदी खुश हैं कि चुनाव का एजेंडा उनका ही है यानि एक तरफ मोदी और दूसरी तरफ कांग्रेस.

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