यूरोपीय संघ (EU) के 23 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को कश्मीर का दौरा किया. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद ये सभी पदाधिकारी निजी स्तर पर राज्य के हालात देखने के लिए पहुंचे हैं.
EU के 27 सांसद भारत आए हुए हैं जिसमें से केवल 23 ही कश्मीर दौरे पर निकले. दिलचस्प यह है कि इस डेलीगेशन में जितने सदस्य हैं उनमें एक बात कॉमन है, वह है उनकी विचारधारा.
17 प्रतिनिधियों का ट्विटर प्रोफाइल
द टेलीग्राफ की यह रिपोर्ट गौर करने वाली है कि यूरोपीय संघ के जिन 27 सांसदों का कश्मीर दौरा प्रस्तावित था, उनमें से 22 सदस्य अपने देश की 'दक्षिणपंथी' पार्टियों से जुड़े हैं.
इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने EU प्रतिनिधिमंडल के 17 प्रतिनिधियों का ट्विटर प्रोफाइल खंगाला तो पाया कि सोशल मीडिया जैसे मंच पर भी उनकी राय भी उनकी 'दक्षिणपंथी' विचारधारा को सामने लाती है.
मोटे तौर पर देखें तो कश्मीर का दौरा कर रहा प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रवादी, अप्रवासी विरोधी और उनमें से कई अपने देश में 'रेडिकल इस्लाम' के प्रसार के आलोचक हैं.
क्या कहता है सांसदों का ट्विटर अकाउंट?
जिन 17 प्रोफाइल का विश्लेषण किया उनमें से आठ प्रतिनिधियों ने कुछ न कुछ 'रेडिकल इस्लाम' के खिलाफ ट्वीट किया है.
चेक रिपब्लिक की KDU-ČSL पार्टी के Tomáš Zdechovský ने दिसंबर, 2015 में कहा कि जर्मनी में क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी गठबंधन नकाब और बुर्का पर प्रतिबंध लगाना चाहता था. उन्होंने चेक भाषा में लिखा, “जर्मन नेताओं के मुताबिक, यह जर्मन संस्कृति का हिस्सा नहीं है.”
इस ट्वीट पर जब एक यूजर ने जर्मन नेताओं की टिप्पणी पर उनका विचार जानना चाहा तो उन्होंने कहा, “वे सोचते हैं कि यूरोपीय संघ में बुर्का पहनना बेवकूफी है.”Německá @CDU_CSU_EP chce zakázat v Německu nošení burek a nikábu.Podle německých politiků nepatří do německé kultury #islam #nemecko @kducsl
— Tomáš Zdechovský 🇨🇿🇪🇺 (@TomZdechovsky) December 1, 2015
ध्यान देने की बात यह है कि ये ट्वीट उनके निजी हैंडल से किए गए थे.
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल फ्रांसीसी सदस्य अपने देश से 'रेडिकल इस्लामिक' गतिविधियों को बाहर करने पर किसी भी तौर पर अधिक उग्र रहे.
प्रतिनिधिमंडल के चार सदस्यों का डीआईयू ने विश्लेषण किया जो फ्रांस की रिपब्लिकन पार्टी से हैं.
Thierry Mariani ने अपनी फोटो पोस्ट करके Alexander Del Valle की किताब “La Strategie De L’Intimidation” का फ्रेंच भाषा में समर्थन किया, जिसका हिंदी अनुवाद होगा: डराने की रणनीति.
उन्होंने एक लाइन कोट करते हुए फ्रेंच में लिखा, "इस्लाम के नाम पर हम जितना मारते हैं, इस्लाम उतना ही तरक्की करता है और उतना ही पश्चिम माफी मांगता है. हमारा असली खतरा हमारा आत्मदोष है!" @alexdelvalle3 के @dfr_paris ने अपनी नई किताब पेश की है "दादागिरी की रणनीति". जरूर पढ़ें!
“इस्लाम” कीवर्ड से जुड़े उनके और ट्वीट आप यहां पढ़ सकते हैं.«Plus on tue au nom de l’islamisme, plus l’islam progresse et plus l’Occident s’excuse.Notre vraie menace,c’est notre auto culpabilisation!’’
Passionnante conférence au @dfr_paris de @alexdelvalle3 présentant «la stratégie de l’intimidation» son dernier livre.
A lire d’urgence! pic.twitter.com/TKA7pdTUsp
— Thierry MARIANI (@ThierryMARIANI) September 19, 2018
फ्रेंच डेलीगेशन के बचे तीन अन्य मेंबर्स Nicolas Bay, Julie Lechanteux और France Jamet के भी विचार कई अवसर पर इससे मिलते जुलते हैं.
जर्मनी के Bernhard Zimnoik सक्रिय रूप से जर्मनी की आप्रवासी नीति के विरोध में ट्वीट करते हैं. यह भी गौरतलब है कि वे कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच 'द्विपक्षीय वार्ता' का समर्थन कर चुके हैं. एक ट्वीट में उनकी पार्टी के ट्विटर हैंडल ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए जर्मन में कैप्शन लिखा, जिसका हिंदी अनुवाद होगा, “Bernhard #Zimniok का मानना है: कश्मीर मामले का सिर्फ एक हल हो सकता है कि प्रभावित पक्ष आपस में निपटाएं. यूरोपीय संघ इस प्रक्रिया में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है. दुर्भाग्य से मेंबर आफ यूरोपियन पार्लियामेंट पक्षपात कर रहे हैं और भारत के खिलाफ प्रतिबंधों की वकालत कर रहे हैं. इस तरह से वे समस्या को बढ़ा रहे हैं.”
Zimniok ने भारत से एक फोटो ट्वीट करते हुए जर्मनी में एंजेला मार्केल की आप्रवासी नीति पर तंज किया.Bernhard #Zimniok ist überzeugt: #Kaschmir-Konflikt kann nur von betroffenen Konfliktparteien selbst gelöst werden. #EU kann diesen Prozess als Mediator begleiten. Leider ergreifen EU-Abgeordnete Partei und fordern Sanktionen gegen Indien. So werden sie zum Teil des Problems. pic.twitter.com/2CcuROjDDV
— AfD im EU-Parlament (@AfDimEUParl) September 25, 2019
मूल रूप से जर्मन भाषा में लिखी उनकी पोस्ट कहती है, “भारत में हमारे होटल से कुछ ही दूरी पर गरीबी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है. डचलैंड में हम अभी भी दूर हैं? दुर्भाग्य से मार्केल सरकार के नेतृत्व में ऐसे राज्य ज्यादा दिन तक यूटोपिया नहीं होंगे. यह रोका जाना चाहिए. Therefore #AfD ! #ltwTH2019”.
हालांकि, इटैलियन सदस्यों के विचार इस्लाम के बारे में कुछ खास नहीं हैं लेकिन ईरान में जो कुछ हो रहा है, उसे लेकर वे ज्यादा चिंतित हैं. DIU ने इटली के तीन प्रतिनिधियों का विश्लेषण किया. ये हैं: Forza Italia के Fulvio Martusciello और Lega party की Gianna Gancia व Silvia SardoneNur wenige Meter von unserem Hotel in #Indien entfernt ist die große #Armut deutlich sichtbar. In #Deutschland sind wir (noch?) weit davon entfernt. Unter Regierung #Merkel sind solche Zustände aber leider keine Utopie mehr. Das gilt es zu verhindern! Daher #AfD! #ltwTH2019 pic.twitter.com/j4DPYioddG
— Bernhard Zimniok (@BernhardZimniok) October 28, 2019
Silvia Sardone और Gianna Gancia दोनों ने ही ईरान में महिला उत्पीड़न और मानवाधिकार के मामलों पर अपने विचार रखे हैं.
Martusciello ने यूरोपीय संसद में ‘पाकिस्तान में CPEC के खिलाफ विरोध’ के मसले पर ट्वीट किया है.
हमने प्रतिनिधिमंडल में शामिल दो पोलैंड के सदस्यों का विश्लेषण किया- Ryszard Czarnecki और Grezgorz Tobiszwoski. इनमें से सिर्फ Ryszard Czarnecki के विचार ‘रेडिकल-इस्लाम’ के खिलाफ हैं. उनके ट्वीट यहां देखे जा सकते हैं जिनमें 'इस्लाम' शब्द आया है.
स्पेन के डेलीगेट Hermann Tertsch ने भी LGBT समुदाय के प्रति असहिष्णु होने के लिए रेडिकल-इस्लाम की आलोचना की है.
DIU ने ब्रिटेन के पांच सांसदों का विश्लेषण किया जिनमें से Nathan Gill के विचार रेडिकल इस्लाम विरोधी हैं. Bill Newton Dunn ने आप्रवास के विरोध में ट्वीट किए हैं. Alexandra L Phillips और David Richard Bull ने ज्यादातर Brexit के समर्थन में ट्वीट किए हैं. Brexit पार्टी के James Wells ने पीटरबर्ग में चुनाव धांधली की एक घटना के बारे में ट्वीट किया है. वेल्स के ट्वीट में आरोप है, “आस्थावानों के लिए इमाम लोग वोटर स्लिप भर रहे थे और स्थानीय, गैर मजदूर मुस्लिमों ने धमकी की शिकायत की.”