यूरोपीय संघ (EU) ने उन छह प्रस्तावों से खुद को अलग कर लिया है जिन्हें छह राजनीतिक ग्रुपों के सांसदों ने यूरोपीय संसद में दाखिल किया है. विदेश मामलों और सुरक्षा नीति पर EU प्रवक्ता विर्जिनी बाट्टू-हेरिक्सन ने इंडिया टुडे को बताया कि यूरोपीय संसद या उसके सदस्यों ने जो विचार व्यक्त किए हैं वो 28 सदस्यीय राजनीति और आर्थिक संघ का 'आधिकारिक रुख' नहीं है.
छह प्रस्तावों पर भारत की सख्त प्रतिक्रिया
प्रवक्ता ने कहा, 'नियमित प्रक्रिया के मुताबिक यूरोपीय संसद ड्राफ्ट प्रस्ताव प्रकाशित करती है. यह दोहराना अहम है कि ये टेक्स्ट सिर्फ यूरोपीय संसद में विभिन्न राजनीतिक ग्रुपों की ओर से रखे गए सिर्फ ड्राफ्ट हैं. मुझे आपको ये याद दिलाने दीजिए कि यूरोपीय संसद और इसके सदस्यों की ओर से जताए गए विचार यूरोपीय संघ के 'आधिकारिक रुख' को व्यक्त नहीं करते.'
बता दें कि भारत ने इन छह प्रस्तावों पर सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त की है. इन प्रस्तावों को यूरोपीय संसद के पूर्ण सत्र में बुधवार (29 जनवरी, स्थानीय समयानुसार शाम 6 बजे) को पेश किया जाना है और फिर चर्चा होनी है. एक दिन बाद 30 जनवरी को इन पर वोटिंग होगी.
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751 सदस्यीय यूरोपीय संघ संसद में 626 सदस्यों ने ड्राफ्ट प्रस्तावों (संख्या B9-0077/2020 to B9-0082/2020) के जरिए नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के साथ ही कश्मीर के मुद्दे पर भी निंदा की है.
भारत-EU शिखर सम्मेलन
हालांकि, EU प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि 'वो उस कानून पर होने वाली चर्चा से अवगत हैं जिसे भारत सरकार ने बीते दिसंबर में पास किया. जिसमें पड़ोसी देशों से कुछ निश्चित धार्मिक ग्रुपों से जुड़े अनियमित प्रवासियों के लिए फास्ट ट्रैक प्रक्रिया स्थापित करने की बात कही गई है.' प्रवक्ता ने साथ ही कहा कि यूरोपीय संघ का मुख्य फोकस मार्च में होने वाले भारत-EU शिखर सम्मेलन पर है जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी हिस्सा लेना है.
प्रवक्ता हेरिक्सन ने कहा, 'EU अपना भारत के साथ अपने 15वें शिखर सम्मेलन का आयोजन ब्रुसेल्स में 13 मार्च 2020 को करने जा रहा है. इसका उद्देश्य भारत के साथ रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करना है. वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और बहुस्तरीय आदेश के आधार पर नियमों को बढ़ावा देने की दिशा में भारत EU का अहम पार्टनर है.'
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इससे पहले EU प्रतिनिधिमंडल ने भारत में भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए थे. तब इसके एक सदस्य ने कहा था- 'यूरोपीय संसद एक स्वतंत्र संस्था है जो अपने काम और मंत्रणा को लेकर संप्रभु संगठन है. जो टेक्स्ट राजनीतिक ग्रुपों की ओर से यूरोपीय संसद में भेजे गए हैं वो ड्राफ्ट प्रस्ताव हैं.'
CAA भारत का आंतरिक मामला?
फ्रांस से जुड़े एक राजनयिक सूत्र ने कहा, 'यूरोपीय संघ के संस्थापक सदस्य फ्रांस के लिए CAA भारत का आंतरिक राजनीतिक मामला है. हम कई मौकों पर इसे साफ कर चुके हैं. यूरोपीय संसद ऐसी संस्था है जो सदस्य देशों और यूरोपीय आयोग से स्वतंत्र है.'
ड्राफ्ट प्रस्ताव के जवाब में भारत सरकार के सूत्रों ने रविवार को कहा, 'CAA ऐसा मामला है जो भारत के लिए पूरी तरह आंतरिक है. इस कानून को पूरी प्रक्रिया और लोकतांत्रिक तरीके से संसद के दोनों सदनों में व्यापक चर्चा के बाद लाया गया.'
सूत्र ने सवाल किया कि क्या किसी बाहरी पक्ष को लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार की ओर से लिए गए फैसलों पर कार्रवाई का किसी तरह का अधिकार है?
जिन 6 राजनीतिक ग्रुपों ने ड्राफ्ट प्रस्ताव रखने की बात कही है उनके नाम हैं- रीन्यू ग्रुप (108 सदस्य), यूरोपीयन्स कंजरवेटिव्स एंड रिफॉर्मिस्ट्स ग्रुप (66 सदस्य), यूरोपीय यूनाईटेड लेफ्ट/नोर्डिक ग्रीन लेफ्ट ग्रुप (41 सदस्य), यूरोपीय पीपल्स पार्टी (182 सदस्य), प्रोग्रेसिव एलायंस ऑफ सोशलिस्ट एंड डेमोक्रेटिक ग्रुप (75 सदस्य).