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चुनाव आयोग के फैसले से किन्नरों को भारी राहत

चुनाव आयोग द्वारा ट्रांससेक्सुअल्स को एक विशेष श्रेणी के तहत औपचारिक मान्यता दिया जाना 60 लाख आबादी वाले इस समुदाय के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है.

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चुनाव आयोग द्वारा ट्रांससेक्सुअल्स को एक विशेष श्रेणी के तहत औपचारिक मान्यता दिया जाना 60 लाख आबादी वाले इस समुदाय के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है. गौरतलब है कि अभी तक इस समुदाय के लोगों को अपने मताधिकार के इस्तेमाल के वक्त अपनी पहचान से समझौता करना पड़ता था.

जाने-माने किन्नर अधिकार कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि चुनाव आयोग द्वारा ट्रांससेक्सुअल्स और किन्नरों को मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र पर ‘अन्य’ के रूप में औपचारिक तौर पर मान्यता दिया जाना आगे बढ़ाया गया एक कदम है, क्योंकि यह हमलोगों को अपनी अलग पहचान के साथ मतदान करने का अधिकार देता है.

खुद एक ट्रांससेक्सुअल और ‘अस्तित्व’ नामक संगठन के संस्थापक लक्ष्मी का कहना है, यह हमारे लोकतंत्र की परिपक्वता का प्रतीक है. यह देश के हर एक नागरिक को संवैधानिक और मौलिक अधिकार मुहैया कराए जाने की दिशा में बढ़ाया गया एक अहम कदम है.

यूएनएड्स कार्यालय में लैंगिक तौर पर अल्पसंख्यक समूह के साथ काम कर रहे अशोक रॉ कोवी का मानना है कि यह बहुत दिनों से होना बाकी था. यह एक बहुप्रतीक्षित निर्णय था. आदर्श तौर पर, इसे बहुत पहले आना चाहिए थे. ट्रांससेक्सुअल्स भी देश के बाकी नागरिकों की तरह बराबर अधिकार पाने की योग्यता रखते हैं.

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