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यहां सब करोड़पति हैं, जीतने वाले भी और हारने वाले भी

चाहे कोई सांसद बने या फिर ना बने, चाहे कोई विधायक बने या फिर ना बने. सियासत के अखाड़े में जो भी कूदा, औसतन हर पहलवान करोड़पति तो है ही.

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राजनीतिक पार्टियां
राजनीतिक पार्टियां

कांग्रेस के पूर्व महासचिव और राज्यसभा सांसद चौधरी बीरेंद्र सिंह ने खुलासा किया है कि 100 करोड़ में राज्यसभा की सीट बिकती है.  ऐसे में सभी की भौहें तन गईं कि क्या वाकई में संसद पहुंचने के लिए करोड़ों का चढ़ावा चढ़ता है. बवाल खड़ा हुआ तो बीरेंद्र सिंह अपने बयान से पलट गए. नया बयान दे डाला कि सिर्फ करोड़पतियों को राज्यसभा नहीं जाना चाहिए.

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सवाल यह उठता है कि राज्यसभा ही क्यों, लोकसभा या विधानसभा में जो हुक्मरान बैठते हैं, क्या उन पर मां लक्ष्मी की कृपा नहीं है?  जवाब हैं हां. यह हम नहीं, आंकड़ें बयान कर रहे हैं. ऐसे आंकड़ें जो बताते हैं कि चाहे कोई सांसद बने या फिर ना बने, चाहे कोई विधायक बने या फिर ना बने. सियासत के अखाड़े में जो भी कूदा, औसतन हर पहलवान करोड़पति तो है ही.

2004 से लेकर अब तक जितने भी नेताओं ने विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में अपनी किस्मत अजमाई है, करीबन सभी पर मां लक्ष्मी की अपार कृपा है.

हमारे नेताओं की संपत्ति का औसतन ब्यौरा
1. चुनाव में खड़े होने वाले सभी उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति- 1.37 करोड़
2. सांसदों और विधायकों की औसतन संपत्ति-3.83 करोड़
3. दागी सांसदों और विधायकों की औसत संपत्ति-4.30 करोड़
4. गंभीर मामलों में फंसे सांसदों और विधायकों की औसत संपत्ति-4.38 करोड़
5. चुनाव में किस्मत आजमाने वाले सबसे अमीर पार्टी (अकाली दल-6.02 करोड़, टीडीपी-5.61 करोड़, जेडीएस-4.72 करोड़, कांग्रेस-4.32 करोड़ और बीजेपी-1.79 करोड़)
6. सबसे अमीर सांसदों और विधायकों की पार्टी (टीडीपी-8.72 करोड़, जेडीएस-7.72 करोड़, अकाली दल-6.27 करोड़, निर्दलीय-7.23 करोड़, कांग्रेस-5.81 करोड़ और बीजेपी 2.88 करोड़)

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क्योंकि इनके लिए दाग भी अच्छे हैं!
1. 2004 से अब तक 62,847 उम्मीदवारों ने या तो लोकसभा या फिर विधानसभा चुनाव में अपना किस्मत आजमाया है. इनमें 11063 (18%) प्रत्याशियों ने बताया कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं.
2. आपराधिक मामलों के फंसे 11063 प्रत्याशियों से 5253 (कुल उम्मीदवारों का 8%) ने बताया कि उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
3. मौजूदा लोकसभा के 543 सांसदों में से 162 (30%) ने बताया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. इनमें से 76 यानी 14 फीसदी सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
4. राज्यसभा के कुल 232 सांसदों में 40 (17%) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
5. देश के सभी विधानसभाओं के कुल 4032 विधायकों में से 1258 (31%) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.

कई करोड़ों में है राजनीतिक पार्टियों की कमाई

गौरतलब है कि देश के राजनीतिक दलों ने 2004 के बाद से चंदा और अन्य स्रोतों से 4,662 करोड़ रुपये की कमाई की है. सितंबर 2012 में दो एनजीओ ने दावा किया कि 2,008 करोड़ रुपये की कमाई के साथ सत्तारूढ कांगेस सूची में शीर्ष पर है, जबकि मुख्य विपक्षी दल बीजेपी 994 करोड़ रुपये की कमाई के साथ दूसरे पायदान पर है.

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आयकर रिटर्न और 2004 -2011 के दौरान चुनाव आयोग को दानकर्ताओं की दी गई सूची के आधार पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच ने 23 बड़ी पार्टियों के आय की रिपोर्ट जारी की था.

आश्चर्यजनक तौर पर, माकपा की कमाई 2004-2011 के बीच 417 करोड़ रुपये रही जिनमें ज्यादातर योगदान 20,000 रुपये से कम का योगदान देने वाले व्यक्तियों का रहा.

माकपा, बीएसपी की 484 करोड़ रुपये की कमाई के थोड़ा ही पीछे रही जबकि अन्य बड़े वाम दल भाकपा ने केवल 6.7 करोड़ रुपये कमाए. एनजीओ के मुताबिक समाजवादी  पार्टी ने 278 करोड़ रुपये की कमाई की.

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