गुजरात चुनाव के नतीजों से पहले ही विपक्षों दलों ने ईवीएम में छेड़छाड़ का मुद्दा जोर-शोर से उठाया शुरू कर दिया था. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल से लेकर गुजरात कांग्रेस के नेता पहले ही कह चुके हैं कि अगर बीजेपी ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं करती है तो गुजरात में कांग्रेस की जीत पक्की है. लेकिन गुजरात के ताजा नतीजे बीजेपी की जीत दिखा रहे हैं तो जाहिर है ईवीएम पर फिर से सवाल उठना शुरू हो जाएंगे.
यूपी चुनाव के बाद उठे सवाल
ईवीएम टैंपरिंग का मुद्दा हाल के दिनों में तब उठा जब यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंज बहुमत मिला. विपक्षी दल बीएसपी और सपा-कांग्रेस के गठबंधन को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने खुलेआम चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी की ओर से भी ईवीएम टेपरिंग के मुद्दे पर पूरा कैंपेल चलाकर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की गई. इसके बाद चुनाव आयोग ने भी राजनीतिक दलों की चुनौती स्वीकार करते हुए पार्टियों के उलटकर ईवीएम हैक करके दिखाने की चुनौती दे दी.
आयोग ने दिया था ओपन चैलेंज
चुनाव आयोग ने खुला चैलेंज दिया कि मई के पहले हफ्ते से लेकर 10 मई के बीच कोई भी उनकी इन मशीनों को हैक करके दिखाए. EC ने चुनौती दी कि मई के पहले हफ्ते से किसी भी राजनीतिक दल का कोई भी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और टेक्नीशियन एक हफ्ते या 10 दिन के लिए आकर मशीनों को हैक करने की कोशिश कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह चुनौती एक हफ्ते या 10 दिन के लिये रहेगी और इसमें विभिन्न स्तर होंगे. चुनाव आयोग इस दौरान EVM में टैंपरिंग करने के साथ इन मशीनों को खोलकर भी उसमें छेड़छाड़ करने की चुनौती दे सकता है.
सिर्फ 2 दलों से स्वीकार की चुनौती
आयोग के चुनौती देने के बाद अंतिम समय में कोई राजनीतिक दल इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हुआ. खुली चुनौती में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सीएमएम) के प्रतिनिधियों ने EC के दफ्तर पहुंचकर मशीन को हैक करने में अपनी अक्षमता जाहिर की. आयोग ने कहा कि यह ईवीएम की सर्वमान्य स्वीकार्यता को साबित करता है.
आयोग ने 12 मई को ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों को लेकर आयोजित सर्वदलीय बैठक के बाद सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को खुली चुनौती में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया था. लेकिन 3 जून को आयोजित होने वाली चुनौती को स्वीकार करने की 26 मई को निर्धारित समय सीमा में सिर्फ दो दलों (एनसीपी और सीपीएम) ने ही आवेदन किया था.
आयोग की ओर से पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में 12 विधानसभा क्षेत्रों में इस्तेमाल की गयी 14 मशीनों को हैक करने के लिये दावेदारों को मुहैया कराने के लिये चुना था. आयोग की चुनौती को तब AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने महज एक छलावा बताया था.