हाल के उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीज़ों के बाद EVM यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की गड़बड़ी को लेकर राजनीति गरमाई और बयानबाज़ी का सिलसिला शुरू हो गया है. भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में वोटों की गिनती में गड़बड़ी की साजिश संभव तो है, लेकिन डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ते इस देश को वोटों के लिए दोबारा बैलेट बॉक्स की तरफ वापस भेजना कितना सही है? एक्सपर्ट भी EVM से छेड़छाड़ की आशंका को खारिज नहीं करते.
साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल का कहना है, 'वोटिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ये मशीनें इंटरनेट से कनेक्टेड नही होतीं, लिहाजा इसमें किसी साइबर क्राइम की कोई तरकीब काम नही करेगी, लेकिन इसमें गड़बड़ी की संभावना को नकारा नही जा सकता. सुरक्षा में तैनात लोगों के मेलजोल से इस मशीन में गड़बड़ी की जा सकती है.'
पवन दुग्गल बताते हैं, 'EVM एक तरह के कंप्यूटर ही हैं और काउंटिंग के दौरान या पहले इसके लॉगरिद्म या मैकेनिज्म को छेड़ा जा सकता हैं.' EVM की सुरक्षा की बात करें तो ये स्टैंडअलोन मशीन हैं. मतलब इसमें छेड़छाड़ करने के लिए एक-एक मशीन से छेड़छाड़ करनी पड़ेगी. इसकी सुरक्षा के मद्देनजर इसे किसी नेटवर्क से नही जोड़ा गया है और इसीलिए हर मशीन में छेड़छाड़ की गुंजाइश ख़त्म हो जाती हैं, लेकिन फिर भी मशीन विशेष की सुरक्षा में सेंध लगाया जा सकता है.'
उन्होंने कहा, 'अभी तक भारत में सफल तौर पर चल रही ये वोटिंग मशीन सुरक्षित है, लेकिन फिर भी साइबर सुरक्षा नीति के मद्देनजर इसकी सुरक्षा परतों पर दोबारा विचार करने में कोई बुराई नही है.' उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका जैसे एडवांस देश की वोटिंग मशीन में छेड़छाड़ की बात सामने आई है तो भारत जैसे तेज़ी से बढ़ते लोकतंत्र को इस तरह की गड़बड़ियों से रोकने की कोशिश करनी चाहिए. अतः ज़रूरी हैं कि EVM जैसी अहम डिजिटल मशीन की सुरक्षा को दोबारा जांच लिया जाए.