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वन रैंक, वन पेंशन पर प्रदर्शन के बीच बोले पर्रिकर- धैर्य रखें पूर्व सैनिक

वन रैंक, वन पेंशन योजना के लागू होने में देरी पर पूर्व सैनिकों के प्रदर्शन के बीच रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते धैर्य रखने की बात कही है. रविवार को पर्रिकर ने कहा, 'जो वादे किए गए हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा और पूर्व सैनिकों को धैर्य रखना चाहिए.'

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रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की फाइल फोटो
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की फाइल फोटो

वन रैंक, वन पेंशन योजना के लागू होने में देरी पर पूर्व सैनिकों के प्रदर्शन के बीच रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते धैर्य रखने की बात कही है. रविवार को पर्रिकर ने कहा, 'जो वादे किए गए हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा और पूर्व सैनिकों को धैर्य रखना चाहिए.'

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सीमा सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों और समाधानों पर एक सम्मेलन को संबोधित करते जयपुर में पर्रिकर ने कहा, 'मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमने जो वादे किए हैं, सभी पूरे किए जाएंगे. लेकिन कुछ लोगों को धैर्य रखने की जरूरत है.'

गौरतलब है कि वन रैंक, वन पेंशन के लागू होने में देरी को लेकर पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रीय राजधानी समेत देशभर में अनेक जगहों पर प्रदर्शन किए हैं और इसे तत्काल लागू करने की मांग की. पूर्व सैनिकों ने सोमवार से क्रमिक भूख हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है. पर्रिकर ने राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में चिंताओं पर ध्यान देते हुए आतंकवाद के कृत्यों को कतई बर्दाश्त नहीं करने की बात भी कही.

राष्ट्रीय सुरक्षा में लापरवाही बर्दाश्त नहीं
उन्होंने कहा, 'आपसे एक गिलास गिर सकता है, लेकिन आप किसी बच्चे को नहीं गिराते क्योंकि आप पूरी सतर्कता बरतते हैं और यह सोच होती है. जिस दिन आप फैसला ले लेंगे कि गिलास को गिरने नहीं देना तो आप इसे कभी नहीं गिराएंगे. राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में कतई बर्दाश्त नहीं करने की प्रवृत्ति ही एकमात्र समाधान है और यही सोच होनी चाहिए.'

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मणिपुर में कुछ दिन पहले घात लगाकर किए गए हमले के बाद म्यांमार में सीमापार सेना की कार्रवाई का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, 'एक हालिया घटना ने राष्ट्रीय सुरक्षा का परिदृश्य बदल दिया और लोगों की सोच में बदलाव दिखाई दे रहा है.'

पर्रिकर ने कहा कि आंतरिक अड़चनों के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. उन्होंने कहा कि बाहरी मुद्दों से भी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है जैसा कि 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान हुआ जब उस देश के लोग नरसंहार से बचने के लिए भारत में आ गए थे.

साइबर अपराध बड़ी चुनौती
पर्रिकर ने साइबर अपराधों को रक्षा बलों के लिए नई चुनौती बताया. उन्होंने कहा, 'अगर कोई साइबर हमला होता है या साइबर आतंकवाद होता है तो सीमा पर खतरा हो सकता है या यह जंग में तब्दील हो सकता है. हालांकि उन्होंने रक्षा वेबसाइटों की हैकिंग की वजह से किसी तरह के सुरक्षा संबंधी खतरे की आशंका को खारिज कर दिया क्योंकि सभी महत्वपूर्ण जानकारी क्लाउड आधारित है और इस तरह की घुसपैठ से पूरी तरह सुरक्षित है. पर्रिकर ने जाली मुद्रा की समस्या और आर्थिक आतंकवाद को साइबर हमलों से भी ज्यादा खतरनाक बताया.

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-इनपुट भाषा से

 

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