पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पहली बार पुलवामा पर अपनी जबान खोली है. लेकिन कह गए कि जंग होगी तो पाकिस्तान पलटवार करेगा. इमरान के इस बयान को सिर्फ गीदड़भभकी और उनके डर से ज्यादा मानने का कोई कारण मौजूद नहीं है. इमरान ने आज ये भी कहा कि वो आतंकवाद पर भी बात करने को तैयार हैं. लेकिन आतंकवाद को रोके बिना और आतंकियों के आकाओं पर कार्रवाई किए बिना कोई बातचीत कैसे होगी, इसका जवाब उनके पास नहीं.
इंडिया गेट पर 'आजतक' के खास कार्यक्रम में देश के पूर्व राजनयिकों ने कहा कि पाकिस्तान में दम नहीं है कि वो युद्ध में भारत के सामने टिक पाए. लेकिन युद्ध आखिरी उपाय है, इससे पहले कई रास्ते हैं, जिसपर चलकर आतंकियों पर कार्रवाई के लिए पाकिस्तान को मजबूर किया जा सकता है.
के सी सिंह (पूर्व विदेश सचिव)- पाकिस्तान की जेब में जब भी पैसा आ जाता है, तो वहां के नेता उछलने लगते हैं. भारत में चुनाव है और पाकिस्तान चुनाव बाधित करना चाहता है. इसलिए पुलवामा हमले को अंजाम दिया गया है. अब भारत सरकार को सही वक्त का इंतजार करना चाहिए. हड़बड़ाकर कोई फैसला नहीं लेना चाहिए. सरकार को ऐसी लड़ाई लड़नी चाहिए जिसमें जीत सुनिश्चित हो. जब भी कोई जवान शहीद होता है तो उसके परिवार के साथ पूरा देश खड़ा रहता है. संसद हमले के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने बिना लड़ाई पाकिस्तान को घुटने के बल लाया था. हमें सब्र से काम लेने की जरूरत है. पाकिस्तान के सामने सारा सबूत है, लेकिन फिर भी वह भारत से सबूत मांग रहा है. पुलवामा हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली, इससे बड़ा सबूत क्या होगा.
राजीव डोगरा (पूर्व राजनयिक)- सऊदी अरब जानता है कि उसके लिए भारत अहम है या पाकिस्तान. सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के रिश्ते हैं, लेकिन भारत के साथ बेहतर रिश्ते हैं. क्योंकि सऊदी अरब जानता है कि जो तेल भारत उससे लेता है वो दूसरे देश से भी ले सकता है. सऊदी अरब का पाकिस्तान के साथ 2.6 बिलियन डॉलर का कारोबार है. जबकि सऊदी अरब का भारत के साथ 26 बिलियन डॉलर का कारोबार है, जिसमें 20 बिलियन डॉलर का भारत सऊदी से आयात करता है. इसलिए सऊदी अरब भारत की आर्थिक ताकत को जानता है. पाकिस्तान को रास्ते पर लाना आसान है, लेकिन इसके लिए भारत को अपना इरादा बुलंद करना होगा. युद्ध ना हो अच्छी बात है, लेकिन पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने की जरूरत है.
अशोक सज्जनहार (पूर्व राजनयिक)- पाकिस्तान में सेना और खुफिया एजेंसियां सरकार चला रही है, इमरान खान की कोई हैसियत नहीं है. इमरान सरकार पाकिस्तानी आर्मी की ही देन है. इसलिए जो आर्मी चाहेगी वहीं पाकिस्तान में होगा. पाकिस्तान पर केवल आर्थिक चोट काफी नहीं है. इमरान खान ने पुलवामा हमले के बाद बयान देकर भारत को और उकसा दिया है. अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए. पहले तो देश चाहता है कि युद्ध ना हो, लेकिन अगर युद्ध ही अंतिम उपाय है तो फिर रणनीति के साथ युद्ध के मैदान में उतरना चाहिए.
मेजर जनरल (रिटायर्ड) शंकर प्रसाद- इमरान खान इतिहास भूल गए हैं. 1971 को याद कर लें, पता चल जाएगा किस तरह 90 हजार पाकिस्तानी जवान भारत के घेरे में आ गए थे. इमरान खान से बयान से साफ है कि वो घबराए हुए हैं. जंग के मैदान में पाकिस्तान टिक नहीं पाएगा. पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बन रहा है. कुलभूषण जाधव मामले में भी पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जमकर किरकिरी हो रही है. आज जब पाकिस्तान को अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया तो उनके वकील की तबीयत बिगड़ गई, यानी झूठ के सहारे अब तक पाकिस्तान दुनिया को गुमराह कर रहा था.