गृह मंत्रालय द्वारा इशरत जहां को आतंकवादी घोषित करने के लिए दायर किए गए हलफनामे के पीछे आईबी के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राजिन्दर कुमार का हाथ बताया जा रहा है. राजेन्दर कुमार इशरत जहां मुठभेड़ मामले में कथित रूप से हत्या के आरोपी हैं. मुठभेड़ मामले में सीबीआई की तरफ से दाखिल पूरक आरोपपत्र में जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि कुमार ने गृह मंत्रालय को यह सूचना दी थी कि इशरत एक आतंकवादी थी. उन्होंने उस मुठभेड़ को सही ठहराने के लिए यह बात कही थी जिसमें मुंबई की 19 वर्षीय इशरत तीन अन्य लोगों के साथ मारी गई थी.
सीबीआई के सूत्रों ने यह जानकारी दी है. सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय में तत्कालीन एडिशनल सेक्रेट्री आरवीएस मणि ने दो महीने से भी कम के समय में गुजरात हाई कोर्ट के सामने दो हलफनामे दायर किए थे जिनमें इशरत की बैकग्राउंड के बारे में विरोधाभासी विचार व्यक्त किए गए थे. सूत्रों ने कहा है कि छह अगस्त 2009 को दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया था कि इशरत और तीन अन्य आतंकवादी थे.
30 सितंबर 2009 को दाखिल किए गए एक अन्य हलफनामे में कहा गया था कि इस बात को साबित करने वाले कोई निर्णायक सबूत नहीं हैं कि वह आतंकवादी थी. एजेंसी का आरोप है कि छह अगस्त 2009 को दाखिल किया गया हलफनामा कुमार के दिमाग की उपज थी क्योंकि उन्हें मुठभेड़ की व्यापक जांच होने की स्थिति में अपनी भूमिका के जांच के दायरे में आने की आशंका थी. इस मुठभेड़ को सीबीआई ने फर्जी बताया था.
सीबीआई के एक सीनियर अफसर ने बताया, 'किसी भी चीज से यह तथ्य नहीं बदलता कि यह आईबी और गुजरात पुलिस का आतंकवाद विरोधी ज्वाइंट ऑपरेशन था जो एक फर्जी मुठभेड़ में बदल गया. चारों पीडि़तों की पृष्ठभूमि इस तथ्य को नहीं बदलती कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी.'
गुजरात में अपने मित्र जावेद शेख उर्फ परनेश पिल्लई के साथ इशरत और दो अन्य के मारे जाने के करीब दशक भर बाद सीबीआई ने एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है जिनमें कुमार का नाम है जो उस समय गुजरात में नियुक्त थे और आईबी के ज्वाइंट डायरेक्टर थे. उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के अलावा आईपीसी की 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के आरोप लगाए गए हैं.
सीबीआई का आरोप है कि उन्होंने 14 जून 2004 को, फर्जी मुठभेड़ से एक दिन पहले, आरोपियों को हथियार मुहैया कराए थे. कुमार के साथ ही जिन अन्य को आरोपपत्र में नामजद किया गया है उनमें सेवारत अधिकारी पी मित्तल, एम के सिन्हा और राजीव वानखेडे़ शामिल हैं.