सीबीआई ने बुधवार को स्पेशल कोर्ट के समक्ष दलील दी कि पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा ने टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े नीतिगत मामलों पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ‘गुमराह’ किया.
मामले में अंतिम दलील देते हुए विशेष लोक अभियोजक आनंद ग्रोवर ने कहा कि अन्य आरोपियों के साथ साजिश में राजा ने टू जी लाइसेंस आवंटनों में आरोपी कंपनियों के पक्ष में कट ऑफ तारीख आगे बढ़ा दी थी.
ग्रोवर ने दलील दी कि राजा ने स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड (एसटीपीएल) और यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) लिमिटेड जैसी ‘अयोग्य’ कंपनियों को स्पेक्ट्रम दिया जाना मंजूर किया.
उन्होंने कहा कि कुछ आरोपियों के पक्ष में पहले आओ पहले पाओ (एफसीएफएस) नीति बदल दी गई और राजा ने तत्कालीन विधि मंत्री का प्रस्ताव भी खारिज कर दिया, जिन्होंने अहम नीतिगत मामलों को मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह के पास भेजने की पेशकश की थी.
राजा की ओर से दो नवंबर 2007 को तत्कालीन प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए ग्रोवर ने कहा, 'असल में, उन्होंने (राजा ने) एफसीएफएस और कट ऑफ तारीख पर उन्हें (मनमोहन सिंह) को गुमराह किया.'
अभियोजक ने कहा, डीओटी (दूरसंचार विभाग) में अद्भुत चीजें हुई जिससे पता चलता है कि यह एफसीएफएस (नीति में बदलाव) आरोपियों के पक्ष में जानबूझकर किया गया.