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भोपाल गैसकांड में फैसला न्याय को दफनाने का उदाहरण: मोइली

भोपाल गैस कांड में आए अदालत के फैसले को न्याय को दफना दिए जाने का उदाहरण बताते हुए विधि मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने सोमवार को कहा कि इस तरह के मामलों की त्वरित गति से सुनवाई करने और उचित जांच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.

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भोपाल गैस कांड में आए अदालत के फैसले को न्याय को दफना दिए जाने का उदाहरण बताते हुए विधि मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने सोमवार को कहा कि इस तरह के मामलों की त्वरित गति से सुनवाई करने और उचित जांच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.

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उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘यह इस तरह का मामला है जिसमें न्याय में विलंब हुआ है और व्यावहारिक तौर पर न्याय नहीं दिया गया. मैं कहना चाहूंगा कि न्याय को दफना दिया गया है.’ मोइली ने कहा कि इसे दोहराया नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मेरी चिंता यह है.’ उन्होंने कहा, ‘उचित जांच कराकर अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाकर यथाशीघ्र अधिकतम सजा सुनिश्चित की जानी चाहिए.’

उन्होंने कहा कि इसके लिए फास्ट ट्रैक अदालतों की आवश्यकता है. यह पूछे जाने पर कि इस मामले में जिस तरह की देरी हुई उस तरह के विलंब पर अंकुश लगाने के लिए क्या सरकार कदम उठाएगी तो इसपर मोइली ने कहा कि वह कदम उठाएंगे. उन्होंने कहा, ‘लेकिन जब तक उचित जांच नहीं होती है और मुकदमा नहीं चलता है तब तक हम न्याय नहीं कर पाएंगे.’

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मंत्री ने भोपाल गैस कांड को गंभीर दुर्घटना करार दिया. यह पूछे जाने पर कि सीबीआई के जांच अधिकारी बी आर लाल ने कहा है कि उनपर विदेश मंत्रालय से यूनियन कार्बाइड के प्रमुख वारेन एंडरसन के खिलाफ मामले में कार्रवाई नहीं करने के लिए दबाव था तो उन्होंने कहा, ‘सेवानिवृत्ति के बाद लोग अनेक बयान दे सकते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यह गैर जिम्मेदाराना बयान है. ऐसा बिल्कुल नहीं किया गया. सेवानिवृत्ति के बाद इस तरह का बयान देकर लोग शहीद बन जाते हैं.’

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