बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में कालाधन को मुद्दा बनाया. सरकार बनी तो कालाधन वापस लाने का वादा किया गया और अब मामले में बयानबाजी और आशंकाओं के बीच विदेशी खाताधारकों की सूची सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई है. कोर्ट की फटकार पर ही सही, लेकिन मामले में केंद्र की चुस्ती अब दिखने लगी है. तो क्या यह मान लिया जाए कि वाकई कालेधन का किस्सा अब सुलझने वाला है. आजतक से खास बातचीत में बाबा रामदेव ने सरकार की इस ओर नीतियों को सराहा है, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह फिर से दिल्ली में कालेधन को लेकर आंदोलन करेंगे.
दरअसल, राजनीतिक रणनीतिकारों से इतर योग गुरु बाबा रामदेव उन शख्सियतों में से हैं, जिन्होंने योगासन के मंच से ही सही लेकिन कालाधन को लेकर आवाज बुलंद की. मामले में केंद्र द्वारा ताजा प्रयासों पर बात करते हुए रामदेव ने कहा, 'केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की मंशा इस ओर साफ दिख रही है. सरकार कालाधन वापस लाना चाहती है. लेकिन सरकार को यह बताना चाहिए कि ब्लैकमनी कब तक आएगी. अगर ऐसा नहीं होता है और जरूरत पड़ी तो मामले को लेकर दिल्ली में फिर से आंदोलन किया जाएगा.'
केजरीवाल और अन्ना पर साधा निशाना
यूपीए सरकार के कार्यकाल को कोसते हुए योग गुरु ने कहा कि कालाधन मामले में यूपीए सरकार ने 10 वर्षों के शासन में कोई कदम नहीं उठाया. सरकार की मंशा कालेधन को लेकर स्पष्ट नहीं थी और वह घोटालों का दौर था. रामदेव ने अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे का नाम लिए बगैर कहा, 'लोकपाल की बात करने वाले भी कालाधन नहीं ला सके.' रामदेव ने कहा कि अब खाताधारकों की सूची कोर्ट को सौंप दी गई है और उम्मीद है कि जांच सही दिशा में आगे बढ़ेगी और कालाधन वापस आएगा.