6 मई को घर वालों ने फिर फोन किया. इस बार, अस्पताल स्टाफ ने बताया कि सेन की चार दिन पहले यानी 2 मई को मौत हो चुकी है और अंतिम संस्कार भी किया जा चुका है.
ये सुनकर सेन परिवार की हैरानी का ठिकाना नहीं रहा. परिवार का कहना है कि ये अविश्वसनीय है कि अस्पताल ने घरवालों को ही ना मौत और ना अंतिम संस्कार की जानकारी देना जरूरी समझा.
सेन के बेटे अरिजित सेन ने दावा किया, "हमें सिर्फ 1 मई को फोन कॉल पर बताया गया था कि मेरे पिता की हालत गंभीर है. इसके बाद ना तो उन्होंने हमें मृत्यु के बारे में सूचित किया और ना ही उनके दाह-संस्कार की बात साझा की.”
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क्वारनटीन थे परिजन
जब यह सब हो रहा था तो सेन के परिवार के सभी सदस्यों- बीमार पत्नी, दो बेटे, दो पुत्रवधू को बंगाल सरकार के क्वारनटीन सेंटर में आइसोलेशन पर रखा गया था. अरिजीत ने आजतक/इंडिया टुडे को बताया, "यहां तक कि स्वास्थ्य विभाग को भी मेरे पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.”ब्रेन स्ट्रोक की वजह से सेन के शरीर का दायां हिस्सा पक्षाघात (लकवा) का शिकार था. सेन का 29 अप्रैल को एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में Covid-19 टेस्ट पॉजिटिव आया. उन्हें फिर एमआर बांगुर अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया. ये अस्पताल राज्य में Covid-19 मरीजों के इलाज के लिए सबसे पहले निर्धारित किया गया था.
अस्पताल प्रशासन ने दिखाई बेरुखी
अरिजित ने बताया, "6 मई को जब अस्पताल के वार्डमास्टर को दोबारा पुष्टि के लिए फोन किया गया तो किसी महिला ने फोन उठाया और बड़ी बेरूखी से जवाब दिया कि शव को कोलकाता नगर निगम वाले ले गए थे."अरिजित ने इस महिला की आवाज मोबाइल में रिकॉर्ड करने का दावा किया. रिकॉर्डिंग में एक महिला ये कहते हुए सुनाई देती है, "आपको मेरा नाम जानने की जरूरत नहीं है. सुबह 10 बजे से रात 8 बजे के बीच यहां केवल एक महिला स्टाफ की ड्यूटी होती है.यह सभी जानते हैं. पहले मुझे अपना नाम बताओ नहीं तो मैं कोई भी जानकारी साझा नहीं करूंगी.”
परिवार को अब तक नहीं मिला डेथ सर्टिफिकेट
परिवार को अभी डेथ सर्टिफिकेट नहीं मिला है. एमआर बांगुर अस्पताल में सेन के भर्ती रहने और इलाज से संबंधित कोई मेडिकल दस्तावेज भी परिवार से साझा नहीं किए गए. सर्टिफिकेट लेने के लिए परिवार को टोप्सिया में Covid श्मशान से संपर्क करने के लिए कहा गया.हालांकि, एमआर बांगुर अस्पताल प्रबंधन ने सेन परिवार के दावे को खारिज किया है. अस्पताल सुपरिटेंडेंट डॉ शिशिर नसकर ने आजतक/इंडिया टुडे से कहा, “मैं आरोपों पर टिप्पणी नहीं कर सकता. हमने परिवार की ओर से दिए गए नंबर पर संपर्क किया था.”
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क्या है अस्पताल प्रशासन की सफाई?
डॉ नसकर ने कहा, “स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के तहत हमारे असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट मरीज की मौत पर परिवार को फोन करते हैं. यदि परिवार से संपर्क नहीं हो पाता तो स्थानीय पुलिस स्टेशन को सूचित किया जाता है. इसके बाद, हम स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट करते हैं और फिर कोलकाता नगर निगम की ओर से अंतिम संस्कार के लिए शव की जिम्मेदारी ली जाती है.” यह पूछे जाने पर कि क्या इस मामले में पुलिस को सूचित किया गया था, डॉ नसकर ने कहा कि ऐसी कोई जरूरत नहीं थी.
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