आईपीएल में फिक्सिंग पर लगातार चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. ताजातरीन जानकारी के मुताबिक भारत में हो रहे आईपीएल मैचों का कंट्रोल दुबई से हो रहा है जिसका मास्टरमाइंड कोई और नहीं भारत का सबसे बड़ा दुश्मन दाऊद इब्राहीम है. डी कंपनी का पूरा नेटवर्क क्रिकेट के इस काले कारोबार से जुड़ा है.
दुबई से दाऊद इब्राहीम और छोटा शकील नेटवर्क के सरगना हैं. इस काम में उनकी मदद करता है दाऊद इब्राहीम का छोटा भाई अनीस इब्राहीम. दुबई से फिक्सिंग का तार जुड़ता है पाकिस्तान में बैठे 12 बुकीज से. पाकिस्तान में बैठे बुकी फिर संपर्क साधते हैं दुबई में ही मौजूद दो बड़े बुकीज़ सुनील मीरचंदानी उर्फ सुनील दुबई और जूनियर कोलकाता से. सुनील दुबई और जूनियर कोलकाता दुबई से भारत में तैनात अपने जानकार सटोरियों को नंबर मिलाते हैं और इसके बाद भारत के सटोरिए या तो किसी मीडिलमैन यानी मध्यस्थ या फिर सीधे खिलाड़ियों से संपर्क कायम करते हैं स्पॉट फिक्सिंग के काले खेल को अंजाम देने के लिए.
मैच हिंदुस्तान की जमीन पर, खिलाड़ी भारत के. फिक्सिंग पाकिस्तान में बैठे सटोरियों के जरिए और मास्टरमाइंड का ठिकाना दुबई में. आईपील में फिक्सिंग के इस चौकाने वाले कनेक्शन के खुलासे ने हर किसी को सन्न कर दिया है. हालांकि आईपीएल में डी कंपनी के नेटवर्क का इशारा तो दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नीरज कुमार ने 16 मई को ही अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर दिया था.
अबतक भारत में कई बुकीज की गिरफ्तारी और दिल्ली पुलिस के खुलासे के बाद साफ हो गया कि आईपील में स्पॉट फिक्सिंग और मैच फिक्सिंग का सरगना दुबई में बैठी डी कंपनी ही है. नेटवर्क की शुरुआत दुबई से शुरू हो कर पाकिस्तान होते हुए भारत में खत्म होती है. यानी दाऊद इब्राहीम से खिलाड़ियों तक.
सटोरियों के नामों का हुआ खुलासा
पाकिस्तान के 12 उन सटोरियों के नामों का भी खुलासा हो चुका है जो सीधे सीधे दुबई में बैठे डी कंपनी के ऑर्डर का पालन करते हैं. इनके नाम हैं मास्टर सलमान, कुमार, विक्की, जंबू, बबलू, गुलाब मुहम्मद, उमर भाई, कासिफ भाई, रेहमद भाई, शरीफ भाई और डॉक्टर जावेद. भारत में भी मौजूद कई सटोरियों के नामों का खुलासा हो चुका है जिनमे मनोज मेट्रो, बंटी, जीजू जनार्दन और जूपिटर शामिल हैं. आईपीएल के स्पॉट फिक्सिंग मामले में मुंबई पुलिस ने रमेश व्यास नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया है.
पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है कि वो सट्टेबाजी के लिए 92 फोन लाइन्स को ऑपरेट करता था. आईपीएल के दौरान इनमे से 30 लाइन पाकिस्तान से आने वाली कॉल्स के लिए रिजर्व रहती थीं. इन क़ॉल्स के जरिए अनीस इब्राहीम का करीबी डॉक्टर छोटानी सीधे दिल्ली में बैठे जूपिटर नाम के मुख्य सटोरिए से बात करता था.
आईपीएल के डी कनेक्शन को लेकर अब सरकार के कान भी खड़े हो गए हैं. कोशिश है दूध का दूध और पानी का पानी करने की. डी कंपनी, सट्टा और आईपीएल. कनेक्शन साबित हो चुका है. साफ ये भी हो गया है कि आईपीएल का मसाला क्रिकेट जितना रंगीन दिखता है. उतना है नहीं क्योंकि उसमे रंग से ज्यादा काले धब्बे हैं.
फिक्सिंग के पीछे है डी कंपनी का पूरा नेटवर्क
डी कंपनी का एक पूरा नेटवर्क आईपीएल और मैच फिक्सिंग के पीछे काम कर रहा है. आखिर कैसे राजस्थान रॉयल्स के 3 खिलाड़ी सट्टेबाजों के जाल में फंसे. जानें इस काले खेल का पूरा सच. क्या 'डी' कंपनी खेल रही है फिक्सिंग का खेल? क्या अंडरवर्ल्ड से जुड़े हैं फिक्सिंग के तार? कहीं न नहीं काली दुनिया से जुड़ा है क्रिकेट में फिक्सिंग का काला खेल. इस पूरे खेल में मोहरे कई हैं लेकिन मास्टरमाइंड एक जो सात समंदर पार बैठा है.
जीजू जनार्दन बना सट्टेबाजों का असली मोहरा
दरअसल, शुरुआत हुई श्रीसंत के क्लब क्रिकेट के साथी जीजू से. जीजू ने केरल छोड़कर जब दुबई में संपर्क बनाये तो वो बेटिंग सिंडिकेट के हाथों में आ गया. जीजू को सट्टेबाजी के पीछे चेहरों की भनक नहीं थी. उसे ये इल्म न था की स्टेडियम के भीतर और बाहर सट्टे के असली खिलाड़ी मुंबई के वो भाई हैं जो अंडरवर्ल्ड की काली दुनिया चलाते है. उधर, जुर्म के भाइयों को जब ये पता चला की जीजू की जेब में क्रिकेट का एक बड़ा जुगनू जगमगा रहा है तो बेटिंग के बादशाहों की लार टपकने लगी. उन्हें लगा की जीजू के जरिये श्रीसंत तक पहुंचा जा सकता है. उन्होंने सोचा एक बार श्रीसंत हत्थे चढ़ गया तो राजस्थान रॉयल्स के कई खिलाड़ी सिंडिकेट के दस्तानो में होंगे. फिक्सिंग की पूरी स्क्रिप्ट तैयार करने के बाद शुरू हुआ खिलाड़ियों के फांसने का सिलसिला.
अपने ही हाथों बोल्ड हुए श्रीसंत
जूपिटर कोड वर्ड नाम के बुकी ने जीजू से मुंबई में कई बार मुलाकात की और फिर एक और बुकी चांद भाई के ज़रिये फिक्सिंग की साज़िश रची गयी. पुलिस सूत्रों के अनुसार जीजू ने श्रीसंत की मुलाकात कुछ नामी गिरामी बुकी से एक पांच सितारा होटल में कराई और फिर ऐश कैश का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ. श्रीसंत अपने ही हाथों बोल्ड हो गए. श्री के कहने पर राजस्थान रॉयल के दो उभरते खिलाड़ी अंकित चव्हाण और अजीत चंदीला भी जीजू से मिले और उसकी गूगली के शिकार हुए.
जीजू ने दोनों नौजवान खिलाड़ियों को बताया की स्पॉट फिक्सिंग इतनी आसान है की टीम का कोई और खिलाडी समझ भी नही पायेगा और लाखों के वारे न्यारे हो जायेंगे. ओवर में एक नो बॉल डालने के लिए 50 से 60 लाख मिल सकते हैं. ज़ाहिर तौर पर छोटे शहर के ये खिलाड़ी माले मुफ्त की इस पेशकश ना ठुकरा सके और बेटिंग कार्टेल के शिकंजे में फंसते गए.
दुबई में बैठे अंडरवर्ल्ड के गुर्गों ने जब आईपीएल की एक कामयाब टीम की इस तिकड़ी को मोहरा बनते देखा तो फिर बड़े पैमाने पर स्पॉट फिक्सिंग का खेल शुरू हुआ.
डी कंपनी और क्रिकेट का कनेक्शन है पुराना
आईपीएल 6 में शामिल 3 खिलाड़ियों की गिरफ्तारी के बाद लगातार नए खुलासों ने हड़कंप मचा दिया है. खुलासों ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि फिक्सिंग के इस काले खेल में दुबई में बैठे अंडरवर्ल्ड का पूरा अमला शामिल है.
तस्वीरें कई बार गवाही दे चुकी हैं कि डी कंपनी और क्रिकेट का कनेक्शन सालों पुराना है. 80 के दशक में शारजाह में जब भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट मैच हुआ करते थे तो डी कंपनी का सरगना दाऊद इब्राहीम और उसका कुनबा वीआईपी बॉक्स में सीट ग्रहण करता था और शायद 80 का दशक खत्म होते होते डी कंपनी ने भारतीय क्रिकेट में काले कारोबार की शुरुआत भी कर दी थी.
दरअसल 90 के दशक में छोटा राजन और शरद शेट्टी दुबई में बैठकर दाऊद इब्राहीम के लिए क्रिकेट का कार्टल चलाते थे. 1993 बम धमाकों के बाद जब छोटा राजन और दाऊद अलग हुए तो क्रिकेट में सट्टेबाजी के भी दो सिंडिकेट हो गए. सबसे बड़ा सिंडिकेट दाऊद का फाइनेंस संभालने वाला शरद शेट्टी चलाता था.
बेटिंग के कारोबार पर कब्जा जमाने के लिए छोटा राजन ने दुबई के इंडिया क्लब में शरद शेट्टी की गोली मारकर हत्या करवा दी. लेकिन 2005 आते-आते शरद शेट्टी का काम मुंबई के एक व्यापारी सुनील मीरचंदानी उर्फ सुनील दुबई ने संभाला. कहा जाता है कि सुनील दुबई सीधे तौर पर दाऊद के भाई अनीस इब्राहिम से जुड़ा है और दोनों मिलकर एशिया के सबसे बड़े क्रिकेट सट्टे का काला कारोबार चला रहे हैं.
कई मौकों पर जांच एजेंसियों और पुलिस की छानबीन में ये खुलासा हुआ है कि दिसंबर 1997 में डी कंपनी ने एक भारतीय खिलाड़ी को उसके फाइव स्टार का पूरा खर्च दिया क्योंकि उस खिलाड़ी ने सट्टेबाजों से अपनी टीम के खिलाड़ियों की मुलाकात कराई थी. 2007 में भी वर्ल्ड कप के मैच के दौरान भारत और बांग्लादेश मुकाबले पर करीब 700 करोड़ की सट्टेबाजी का खुलासा हुआ था जिसके पीछे डी कंपनी का हाथ सामने आया था.
सितंबर 2010 में भी एक पाकिस्तानी सटोरिए ने खुलासा किया था कि ज्यादातर सटोरिए दाऊद इब्राहीम के कंट्रोल में ही काम करते हैं. मार्च 2011 में भी दाऊद इब्राहीम गैंग के लोगों को सट्टेबाजी के जुर्म में मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था. मार्च 2012 में एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद खुलासा हुआ कि 2011 वर्ल्ड कप का भारत-पाक्सितान मैच भी फिक्स था जिसके पीछे डी कंपनी के तार जुड़े थे. डी कंपनी क्रिकेट नहीं खेलती है लेकिन क्रिकेट के खेल को काला करने का कारोबार जरूर अंजाम दे रही है.