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EXCLUSIVE: रेलगाड़ियों में RAC कोटा दोगुना करने की कवायद में रेलवे, अगले महीने लागू होगा फैसला

रेलवे सभी रेलगाड़ियों में आरएसी सीटों को दोगुना करने जा रही है. आजतक को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक रेल मंत्रालय RAC यानी रिजर्वेशन अगेंस्‍ट कैंसलेशन कोटा दोगुना करने पर विचार कर रहा है. अगले महीने से ये फैसला लागू हो सकता है.

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भारतीय रेलवे
भारतीय रेलवे

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रेलवे सभी रेलगाड़ियों में आरएसी सीटों को दोगुना करने जा रही है. आजतक को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक रेल मंत्रालय RAC यानी रिजर्वेशन अगेंस्‍ट कैंसलेशन कोटा दोगुना करने पर विचार कर रहा है. अगले महीने से ये फैसला लागू हो सकता है.

सभी एक्सप्रेस, शताब्दी, राजधानी, दूरंतों और प्रीमियम ट्रेनों में नीचे की साइड बर्थ को पूरी तरह से आरएसी के लिए रिजर्व कर दिया जाएगा. रेलवे के अधिकारियों का ऐसा करने के पीछे तर्क ये है कि मौजूदा व्यवस्था में टिकटों की भारी मांग है और ऐसे में जिन लोगों को कहीं जाना है वो बैठकर जाने के लिए भी तैयार हैं. ऐसे में रेलयात्रियों के लिए फेस्टिवल सीजन जैसे समय में ज्यादा सीटें उपलब्ध हो पाएंगी.

रेलवे के आला अफसरों के मुताबिक साइड की बर्थ पूरी तरह से आरएसी करने से रेलवे को एक साल में तकरीबन 1500 करोड़ रुपये का फायदा हो पाएगा. इससे जहां एक तरफ ज्यादा यात्री सफर कर पाएंगे वहीं दूसरी तरफ घाटे की मार झेल रही रेलवे का घाटा कुछ हद तक कम हो पाएगा. लेकिन यात्री सुविधा के लिहाज से इस फैसले को बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है क्योंकि आप पैसा पूरी बर्थ का देंगे लेकिन सफर बैठकर करेंगे.

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ये है प्रस्‍ताव
रेलवे के मौजूदा प्रस्ताव के मुताबिक एक्सप्रेस ट्रेनों में एसी-3 डिब्बे में मौजूदा 4 आरएसी सीटें बढ़ाकर 8 कर दी जाएंगी. एसी-2 की डिब्बे में मौजूदा 3 आरएसी सीटों को बढ़ाकर 6 कर दिया जाएगा. एसी-1 की बात करें तो मौजूदा 2 आरएसी सीटों को बढ़ाकर 4 कर दिया जाएगा. इन सभी आरएसी सीटों पर सफर कर रहे यात्रियों को किसी टिकट कैंसिलेशन के बदले कन्फर्म बर्थ भी मिलती रहेगी.

ये नुकसान भी
वैसे तो एक तरफ रेल मंत्रालय यात्री सुविधाएं बढ़ाने का दावा करता है, वहीं दूसरी तरफ लगातार इस तरह के फैसले ले रहा है जिससे रेलवे का सफर सुखद होने की बजाय मुश्किल होता जा रहा है. आरएसी कोटा दोगुना करने पर पूरा पैसा देने के बावजूद लोगों को बैठकर ही जाने को मिलेगा. खास बात ये है कि ये व्यवस्था लागू होने के बाद होगा ये कि अगर आपका टिकट कंफर्म नहीं हुआ है, तो सीट कंफर्म होने की उम्मीद और कम हो जाएगी. साथ ही, आप पैसे तो पूरी सीट के देंगे, लेकिन आपको मिलेगी आधी सीट जिस पर आप लेटकर नहीं बल्कि बैठकर सफर पूरा करेंगे. जाहिर है, रेल यात्रियों के लिए मंत्रालय का ये प्रस्ताव बहुत अच्छा तो कतई नहीं है.

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ये भी है एक मकसद
खास बात ये है कि अपनी कमाई बढ़ाने के लिए रेलवे तमाम अलोकप्रिय फैसले लेने की मंशा बना चुका है. तकरीबन 4,000 करोड़ के घाटे में है रेलवे अबतक और ऐसे में कमाई बढ़ाने के लिए नए नए तरीके ढूंढे जा रहे हैं. कमाई बढ़ाने की कवायद में ही सितंबर महीने में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू करके राजधानी, शताब्दी और दूरंतों के किराए ढेड़ गुने कर दिए गए. इसी के साथ रेलवे सीनियर सिटीजन सब्सिडी खत्म करने पर भी विचार कर रहा है.

1500 करोड़ का होगा फायदा
इस प्रस्ताव के पीछे रेलवे की मंशा आमदनी बढा़ने की है. फिलहाल यात्री किरायों के मद में रेलवे को करीब 4 हजार करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु कुछ समय से लगातार ऐसे कदम उठा रहे हैं जिससे रेलवे की कमाई बढ़े. फिर चाहे वो फ्लेक्सी फेयर सिस्टम हो या फिर सीनियर सिटीजन को मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने की बात. अनुमान के मुताबिक इस फैसले को लागू करने से उसके खजाने में 1500 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी होगी. इन तमाम फैसलों से भले ही रेलवे की आर्थिक स्थिति में सुधार हो, लेकिन रेल यात्रियों को इनसे फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं.

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