हमारे देश की सेना विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना मानी जाती है. आजादी के बाद लड़ी गई लड़ाइयों में दुश्मन ने हमेशा ही मुंह की खाई है. हमारे जवानों ने सीमा पर हर दुश्मन के हर हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया है. लेकिन सेना में भर्ती हुए जवानों की बेहतरी या फिर सेना के मॉर्डेनाइजेशन पर कितना ध्यान देने की जरूरत है, पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रहे सीजफायर उल्लंघन, ISIS का भारत कनेक्शन और कश्मीर में सेना की भूमिका जैसे मुद्दों पर आजतक वेब ने खास बातचीत की सेना में मेजर जनरल रह चुके पीके सहगल से.
साल 2002 में रिटायर हुए मेजर जनरल पीके सहगल सेना के कई उच्च पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. सहगल आर्मी डिफेंस कॉलेज के हेड रह चुके हैं. सहगल करीब सेना के तीन हजार जवानों को आर्मी कॉलेज में विशेष ट्रेनिंग दे चुके हैं. साथ ही साथ नेशनल डिफेंस अकादमी, खड़गवासला में भी सहगल ने अपनी सेवाएं दी हैं. सहगल भारतीय सेना के एयर डिफेंस ब्रिगेड की कमान भी संभाल चुके हैं. करगिल युद्ध के वक्त भी मेजर जनरल पीके सहगल ने विशेष भूमिका अदा की थी. हालांकि रिटायरमेंट के बाद सहगल सामाजिक कार्यों से जुड़े हैं लेकिन भारतीय सेना और रक्षा तंत्र में उनकी विशेष जानकारी को भारत सरकार आज भी उपयोग में लाती है.
पढ़िए मेजर जनरल पीके सहगल से बातचीत के मुख्य अंश:
पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रहे सीजफायर उल्लंघन को रोकने के लिए भारत सरकार को किस तरह के ठोस कदम उठाने चाहिए?
देखिए, पाकिस्तान के तरफ से जो कुछ भी हो रहा है वो उनकी सरकार की नाकामी है. पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में किसकी हुकूमत चलती है. वहां, वही होता है जो ISI, पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठन चाहते हैं. भारत सरकार को पाकिस्तान पर द्विपक्षीय वार्ता के लिए दबाव बनाना चाहिए. युद्ध ही एकमात्र विकल्प नहीं है, इस मुद्दे को बिना वार्ता किए हल नहीं किया जा सकता. भारत सरकार पाकिस्तान पर दबाव बनाने का हर संभव प्रयास कर रही है. जहां तक सेना की बात है तो सेना की तरफ से पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से दिया जा रहा है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ कश्मीर के मुद्दे को बार-बार अंतरराष्ट्रीय पटल पर रखने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में भारत का रुख क्या होना चाहिए?
नवाज शरीफ जो भी कर रहे हैं वो ISI के दबाव में कर रहे हैं. नवाज नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने आए थे उस वक्त ऐसा लग रहा था कि सब कुछ ठीक है लेकिन भारत आने पर पाकिस्तान में नवाज शरीफ की बहुत निंदा हुई. ऐसे में नवाज शरीफ पर ISI का दबाव और भी बढ़ गया है. चाहे पाकिस्तान किसी भी पटल पा जाकर कश्मीर राग अलापे लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस समस्या को सिर्फ भारत और पाकिस्तान आपस में बातचीत से ही सुलझा सकते हैं. भारत को इस मुद्दे पर अमेरिका और यूएन की मध्यस्थता की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है.
पाकिस्तान का न्यूक्लियर पावर होना और पाकिस्तान को चीन से मिल रही मदद भारत के लिए कितनी खतरनाक है?
भारत को किसी तरह का कोई डर नहीं है. कोई भी मुद्दा लड़ाई से नहीं सुलझाया जा सकता. अगर पाकिस्तान ये सोचता है कि उसके न्यूक्लियर पावर होने से भारत डर रहा है तो वो उसकी गलतफहमी है. पाकिस्तान को भारत से बात करनी ही होगी. और जहां तक चीन का सवाल है तो ये सच है कि चीन लगातार पाकिस्तान को पर्दे के पीछे से मदद कर रहा है. लेकिन भारत ने इस मुद्दे पर चीन से बात की है और उसपर दबाव बनाने की कोशिश जारी है.
पाकिस्तान से संबध सुधार की कितनी उम्मीदें हैं?
देखिए हमें हमेशा पॉजिटिव सोचना चाहिए. अगले 10 साल के भीतर पाकिस्तान से हमारे रिश्ते निश्चित तौर पर बेहतर होंगे. क्योंकि पाकिस्तान में भी कई तरह की समस्याएं हैं जिनसे वो लगातार जूझ रहा है. ऐसे में भारत एक ऐसा देश है जो उसकी मदद कर सकता है. मुझे लगता है ये बात पाकिस्तान को जल्द समझ में आ जाएगी और वो भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश जरूर करेगा.
ISIS देश के लिए कितना बड़ा खतरा है?
ISIS को मैं बड़ा खतरा नहीं मानता. आज देश में मजबूत सरकार है. हमारी जमीनी, समुद्री और हवाई सीमाएं पहले से ज्यादा सुरक्षित हैं. हम लगातार अपने एक्सटर्नल और इंटर्नल इंटेलिजेंस को और भी मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं. ISIS को जवाब भी उसी के अंदाज में देने के लिए हम तैयार हैं.
हमारी सेना और इंटेलिजेंस इसके लिए कितनी तैयार है?
देखिए सबसे पहले मैं ये खुले तौर पर कहना चाहूंगा कि पिछली UPA सरकार ने हमारी सेना, एक्सटर्नल इंटेलिजेंस और इंटर्नल इंटेलिजेंस को और भी बेहतरीन बनाने पर कोई काम नहीं किया है. पिछले 10 सालों में सेना में मौजूद कई कमियों को दूर किया जा सकता था लेकिन UPA सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. पिछली सरकार ने ना तो सेना और इंटेलिजेंस के मॉर्डनाइजेशन पर ध्यान दिया और ना ही सेना के जवानों की बेहतरी के लिए कोई कदम उठाए. लेकिन इन सबके बावजूद सेना और इंटेलिजेंस ने अपना काम बखूबी किया और किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार हैं. हालांकि, मैं ये बता दूं कि सेना को नई सरकार से ढेरों उम्मीदें हैं. फिलहाल सेना और इंटेलिजेंस को और भी बेहतर बनाने की जरूरत है. सेना को मॉर्डनाइजेशन की जरूरत है. नरेंद्र मोदी ने बार-बार सेना को मजबूती देने की बात कही है और उम्मीद है वो इस पर जल्द ही काम करेंगे.
जम्मू-कश्मीर में सेना की भूमिका पर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं. कश्मीरियों की ये शिकायत रहती है कि सेना का रवैया उनके प्रति ठीक नहीं है. ऐसे में सेना के लिए कितना मुश्किल होता है वहां के लोगों के बीच विश्वास बनाए रखना?
कश्मीरी लोग बहुत अच्छे हैं. सेना के साथ उनके रिश्ते भी बहुत अच्छे हैं. हां, कुछ असामाजिक तत्व हैं जो परेशानी खड़ी करने के लिए कुछ ना कुछ करते रहते हैं. सेना वहां के स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कैंपेन भी चलाती है. अब कश्मीर के लोगों को भी समझ आने लगा है कि उन्हें अब तक बेवकूफ बनाया जा रहा था. हाल ही में आई जानलेवा बाढ़ में जो भारतीय सेना ने लोगों को बचाने में सक्रियता दिखाई है वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है. इस बात का कश्मीरियों पर अच्छा असर पड़ा है और भारतीय सेना के प्रति उनकी सोच में बदलाव आया है.
आपने नेशनल सिक्योरिटी और सेना से जुड़े कई अहम मुद्दों पर हमसे बात की, इसके लिए आपका धन्यवाद.
पीके सहगल: शुक्रिया.