'आज तक' की ग्राउंड जीरो पड़ताल में भारत-म्यांमार सरहद की चौंकाने वाली हकीकत का खुलासा हुआ है. भारतीय सेना के क्रॉस-बॉर्डर ऑपरेशन के बाद म्यांमार सीमा को लेकर चर्चा आम है. ऐसे में हमारी टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो सामने आया सरहद का चौंकाने वाला सच.
'आज तक' की टीम मणिपुर में भारत-म्यांमार सरहद पर चांदेल जिले के मोरे कस्बे में पहुंची. इसी इलाके में पिछले कुछ दिनों से सेना और उग्रवादी संगठनों के बीच संघर्ष चल रहा है.
'आज तक' ने पाया कि मोरे इलाके में भारत-म्यांमार सरहद पूरी तरह खुली हुई है और उग्रवादी संगठन यहां से सबसे ज्यादा घुसपैठ और तस्करी करते हैं. यहां फेंसिंग नाम मात्र के लिए लगाई गई है और लोग बिना रोक-टोक के सरहद के पार जा सकते हैं.
अब तक क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन पर अपनी पीठ ठोंकने वाली भारतीय सेना म्यांमार के विरोध के बाद मामले को ज्यादा तूल देने से बच रही है. मणिपुर समेत कई पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय उग्रवादी संगठन एक बार फिर सिर उठा रहे हैं. म्यांमार ऑपरेशन के बाद मणिपुर समेत सभी पूर्वोत्तर राज्यों में हाई अलर्ट है.
म्यांमार सरहद में भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद मोरे में उग्रवादियों ने ग्रेनेड से पुलिस मुख्यालय पर हमला बोला. इस हमले के बाद से पूरे इलाके में हाई-अलर्ट है. स्थानीय पुलिस के आला अधिकारी मान रहे हैं कि उग्रवादी संगठन इस इलाके में दोबारा अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाह रहे हैं.
हमले की फिराक में NSCN-K
खुफिया जानकारी के मुताबिक, एनएससीएन-खापलांग, पीएलए, उल्फा समेत कई उग्रवादी संगठन मिलकर किसी बड़े हमले को अंजाम देना चाहते हैं. इन संगठनों के 20 से ज्यादा खूंखार उग्रवादी किसी बड़े हमले की फिराक में हैं.
एनएससीएन-खापलांग गुट के उग्रवादियों ने ही भारतीय सेना की 6 डोगरा टुकड़ी पर जानलेवा हमला किया था. इस समूह का मुख्य साजिशकर्ता स्टार्सन भारतीय सेना की जवाबी कार्यवाही में बचकर भागने में सफल रहा. ऐसे में मास्टर माइंड स्टार्सन समूह के मुखिया एस एस खापलांग के साथ मिलकर किसी बड़े हमले को अंजाम दे सकता है.
उधर सेना के ख़ुफ़िया सूत्रों की मानें तो म्यांमार के तामु कस्बे से 70 किलोमीटर दूर कालिमियो के अस्पताल में भारतीय सेना की कार्रवाई में मारे गए 20 से ज्यादा उग्रवादियों के शव रखे हुए हैं, जबकि 50 से ज्यादा घायलों का इलाज चल रहा है. लेकिन म्यांमार के विरोध के बाद अब भारतीय सेना इस मामले को ज्यादा तूल नहीं देना चाहती है.
म्यांमार सीमा से किसी भी संभावित हमले और घुसपैठ से निपटने के लिए सेना और असम राइफल ने निगरानी कई गुना बढ़ा दी है. लेकिन मणिपुर से लगने वाली म्यांमार की सरहद पूरी तरह से खुली हुई है और फेंसिंग का काम भी अधूरा है. सिर्फ 5 किलोमीटर की फेंसिंग नाम मात्र के लिए लगाई गई है. लोग बिना रोक-टोक सरहद के आर-पार जा सकते हैं.