आपदा से पहले केदारनाथ में मंदाकिनी की दो धाराएं थीं, लेकिन हैरानी की बात है कि आपदा के बाद केदारनाथ में मंदाकिनी तीन धाराओं में बंट गई. सैटेलाइट की तस्वीरों से ये खुलासा हुआ है.
सैटेलाइट की तस्वीरों से साफ दिख रहा है कि आपदा के वक्त मंदाकिनी में इतना पानी आया कि धाराएं पहले से ज्यादा मोटी हो गईं.
नासा के सैटेलाइट लैंडसेट 8 द्वारा ली गई तस्वीरों की तुलना अगर उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर द्वारा मुहैया कराई गई पुरानी एनआरएससी (नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर) तस्वीरों से की जाए, तो उससे मंदाकिनी घाटी में मची तबाही का पता चलता है.
कुदरत के कहर को बयां करने वाली इन तस्वीरों पर आधारित ये रिपोर्ट इस बात को सिरे से खारिज करती है कि तबाही की वजह ग्लेशियर या फिर बासुका झील है. तस्वीरों बताती हैं कि गौरीकुंड और केदारनाथ के बीच का 14 किलोमीटर का पैदल रास्ता करीब 80 फीसदी तक बह चुका है.
इसके अलावा तस्वीरों में गौरीकुंड से 7 किलोमीटर दूर स्थित रामबाड़ा का वजूद मानचित्र से मिट चुका है. इसके अलावा सैटेलाइट से ली गई इन तस्वीरों में मंदाकिनी का जबरदस्त उफान साफ नजर आ रहा है.