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Exclusive: भारत-ईरान रिश्ता बिगाड़ने के लिए PAK ने कुलभूषण को बनाया मोहरा

इंडिया टुडे के हाथ लगी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक बलूचिस्तान में शियाओं की हत्या के लिए बदनाम आतंकी सगंठन जैश उल आदिल ने कुलभूषण जाधव को अगवा किया है. इस सुन्नी आतंकी संगठन में 500 आतंकी हैं.

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जासूस नहीं कारोबारी हैं कुलभूषण
जासूस नहीं कारोबारी हैं कुलभूषण

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विदेश मंत्रालय और खुफिया एजेंसियां कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी के पीछे की साजिश का पता लगाने में जुटी है. ऐसी जानकारी मिल रही है कि कुलभूषण की गिरफ्तारी के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन का हाथ है. उनका मकसद भारत और ईरान के बीच व्यापारिक रिश्ते को बिगाड़ने का भी हो सकता है.

मंत्रालय को ये आशंका है जब भारत आतंक से दो-दो हाथ की जंग में पाकिस्तानी जांच टीम के साथ पठानकोट हमले की गुत्थियां सुलझाने में लगा था. तभी सरहद पार भारत को बदनाम करने की बड़ी साजिश शक्ल ले रही थी.

अलकायदा से जुड़े आतंकी संगठन ने किया अगवा
इंडिया टुडे के हाथ लगी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक बलूचिस्तान में शियाओं की हत्या के लिए बदनाम आतंकी सगंठन जैश उल आदिल ने कुलभूषण जाधव को अगवा किया है. इस सुन्नी आतंकी संगठन में 500 आतंकी हैं. पहले अब्दुल मलिक रीगी इसका मुखिया था. उसके मारे जाने के बाद सलाहुद्दीन फारूखी इस संगठन को चलाता है. यह संगठन कुख्यात आतंकी संगठन अल कायदा से जुड़ा हुआ भी है.

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अरबों रुपये के कारोबार से जुड़ा मामला
दरअसल ये मामला दो बंदरगाहों का अरबों के कारोबार से भी जुड़ा है. भारत ईरान में चाबहार बंदरगाह को विकसित कर रहा है. यह बलूचिस्तान की सीमा पर है. यह बंदरगाह मध्य एशिया के समुद्री व्यापार मार्ग को अरब सागर से जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है. अगर बंदरगाह तैयार हुआ तो बलूचिस्तान में पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह ठप पड़ जाएगा. जो उनकी आमदनी का बड़ा जरिया है. इसलिए पाकिस्तान चाहता है कि किसी तरह चाबहार बंदरगाह को जासूसी का अड्डा बताकर भारत-ईरान का ये साझा प्रोजेक्ट रोका जाए.

नवाज के उदार रवैए से खफा है पाक आर्मी
पाकिस्तान भारत को कठघरे में खड़ा करना चाहता है. ये साबित करना चाहता है कि चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत पाकिस्तान में जासूसी करवा रहा है. सेना को एक खुन्नस नवाज शरीफ सरकार से भी है जो कि भारत से रिश्ते सुधारने में लगी है. पाकिस्तान की सेना ऐसी कदम की मुखालफत करती रही है.

जासूस नहीं कारोबारी हैं कुलभूषण
वहीं पाकिस्तान जिस कुलभूषण जाधव को जासूस बताकर भारत पर जासूसी कराने की तोहमत लगा रहा है. वह दरअसल जासूस नहीं एक बिजनेसमैन हैं. यह हकीकत है कि कुलभूषण जाधव भारतीय नौ सेना में अधिकारी रह चुके हैं. विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी करके कहा है कि समय से पहले रिटायर होने के बाद उस व्यक्ति से सरकार का कोई संबंध नहीं है.

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इंडियन नेवी से रिटायरमेंट के बाद ईरान गए
1986-87 में कुलभूषण जाधव ने नेशनल डिफेंस एकेडमी जॉइन की. इसके करीब चार साल बाद वह नेवी में गए. सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक कुलभूषण ने 1997 में नेवी से रिटायरमेंट ले लिया. इसके बाद उन्होंने ईरान में अपना कारोबार शुरू कर दिया.

चाबहार बंदरगाह पर है कुलभूषण का कारोबार
कुलभूषण जाधव के बिजनेस के बारे में जो जानकारी मिल पाई है उसके मुताबिक वो ईरान में कारगो बिजनेस करते हैं. ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह से ईरान के चाबहार बंदरगाह पर कारगो के जरिए उनका सामान आता जाता है. यह बंदरगाह ईरान के दक्षिण पूर्वी तट पर सिस्तान-बलोचिस्तान प्रांत में है. इस बंदरगाह को अपने व्यापार के लिए भारत विकसित कर रहा है. शक है कि पाकिस्तान ने इस काम में अड़ंगा लगाने के लिए कुलभूषण को अगवा कर जासूस करार दिया है.

पाक ने किया विएना संधि का उल्लंघन
अभी तक इस पूरे मामले में पाकिस्तान ने कुलभूषण को भारतीय काउंसलर से भी नहीं मिलने नहीं दिया है, जबकि विएना समझौते के मुताबिक उसे काउंसलर को रोकने का हक नहीं है. जाहिर है कि पाकिस्तान अपनी चालबाजियों से भारतीय व्यापारी कुलभूषण जाधव को मोहरा बनाकर भारत को बदनाम करने की साजिश रच रहा है.

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