लगातार मौतों और साजिश के खुलते परतों के बीच व्यापम से जुड़े रोज नए-नए राज सामने आ रहे हैं. इस मामले से जुड़े नम्रता दामोर मर्डर केस की भी रोज नई-नई कहानी सामने आ रही हैं.
अदालत के ऑर्डर की कॉपी सामने आई
नम्रता दामोर हत्याकांड में पहली बार हाई कोर्ट की इंदौर बैंच के ऑर्डर की कॉपी सामने आई है? आदेश को किस तरह ताक पर रख कर उज्जैन पुलिस ने नम्रता मर्डर केस की जांच को दफन किया इसकी सच्चाई इससे सामने आती है.
पुलिस की ओर से हुई लापरवाही
दरअसल हाईकोर्ट ने नम्रता की मौत को लेकर जांच करने के लिए लगाई गई याचिका में दिनाक 14 अगस्त 2013 को अंतिम फैसला करते हुए एसपी उज्जैन और कायथा थाना पुलिस को फिर से जांच कर आठ हफ़्तों में न्यायालय को सूचना देने के आदेश जारी किये थे. लेकिन उज्जैन पुलिस ने ना तो जांच की और न ही कोर्ट को सूचना दी. साथ ही हाईकोर्ट के आदेश को अनसुना कर कोर्ट की अवमानना भी कर डाली.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ खुलासा
इस याचिका पर कोर्ट ने अंतिम आदेश दिया था कि कायथा पुलिस पूरे मामले को एसपी उज्जैन के सामने रखेगी. और एसपी फिर से जांच करेंगे. नम्रता का मामला ख़ुदकुशी का नहीं है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उसकी सांस रोकी गई थी. पूरे मामले में क्या जांच हुई इसका आजतक पता नहीं चला. कोर्ट ने आठ हफ़्तों में जांच कर सूचित करने के आदेश दिए थे. जो कि कोर्ट की अवमानना है.
पुलिस की ओर से आगे नहीं बढ़ी जांच
नम्रता की लाश कायथा थाना क्षेत्र में मिली थी. वो संदिग्ध मौत थी. मौत से पहले कुछ लड़कों से उसकी 170 बार बात हुई थी. पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी इसलिए याचिकाकर्ता ने याचिका लगाई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसकी हत्या कर लाश फेंकी गई थी, जिसकी जांच कर सच्चाई पुलिस को सामने लाना था.