महाराष्ट्र के थिएटरों के बाहर 2008 में बम धमाकों में कथित भूमिका को लेकर सनातन संस्था के दो साधकों के हैरान करने वाले कबूलनामे सामने आए हैं. इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम ने इन दोनों साधकों को कैमरे पर खुद ही आतंकी हमलों में अपनी कथित भूमिका के बारे में बताते हुए कैद किया.
सम्मोहन विद्या से इलाज के माहिर डॉ जयंत आठवले ने 1999 में सनातन संस्था की स्थापना की. ये संगठन स्पष्ट तौर पर अपना प्रारंभिक लक्ष्य 'आध्यात्मिकता' को बताता है. अपनी वेबसाइट पर संस्था ने लिखा है- 'संस्था का उद्देश्य समाज में जिज्ञासा रखने वालों को आध्यात्मिक ज्ञान देना है. जन-जन के मन में धार्मिक बर्ताव को बिठाना और साधकों को उनके आध्यात्मिक उत्थान के लिए व्यक्तिगत तौर पर दिशा-निर्देशन देना है.'
सनातन संस्था और इसके केंद्र महाराष्ट्र, गोवा और देश के अन्य हिस्सों में भी फैले हैं. ये संस्था विवादों से अछूती नहीं है. इस संस्था को 2008 में महाराष्ट्र में थिएटर्स और सिनेमाहालों के बाहर बम धमाकों के आरोप में महाराष्ट्र ATS ने चार्जशीट में नामजद किया. आरोप है कि सनातन संस्था ने कुछ फिल्मों और नाटकों में जिस तरह से हिन्दुत्व की छवि पेश की जा रही थी, उसे आपत्तिजनक मानते हुए कथित तौर पर ये धमाके किए.बीते कई साल से सनातन संस्था जोर देकर अपने खिलाफ सभी आरोपों को खारिज करती रही है, लेकिन इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम ने ऐसे सबूत जुटाए हैं जो सनातन संस्था की संभावित भूमिका की ओर इशारा कर रहे हैं.
सात साल पहले मंगेश दिनकर निकम को ट्रायल कोर्ट ने ठाणे, पनवेल, और वाशी में 2008 में हुए बम धमाकों से जुड़े केस में बरी कर दिया था, लेकिन अब निकम ने खुद कैमरे पर कबूल किया है कि उसने विस्फोटक प्लांट किए थे.
पुलिस रिकॉर्ड में संस्था साधक के तौर पर दर्ज पहचान वाले 45 वर्षीय निकम ने माना कि जो बम डिस्पोजल स्क्वॉड ने डिफ्यूज़ कर दिया था, उसे उसने ही प्लांट किया था. निकम के मुताबिक संस्था के हिसाब से वाशी थिएटर में एक मराठी नाटक में हिन्दू देवी-देवताओं की गलत छवि पेश की जा रही थी, उसी का बदला लेने के लिए ऐसा किया गया.
निकम ने सतारा जिले में अपने घर पर इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर से कहा- 'वाशी में था, तो मैंने (IED) रखा था. रखकर आ गया. मेरा इतना रोल था.'
निकम ने कहा, 'वाशी केस जिसमें हम शामिल थे, वहां लोग नाटक में हमारे देवी-देवताओं का उपहास कर रहे थे. वो बस बंद हो जाए, इसके लिए हमने कोशिश की थी. उसके आगे कुछ नहीं.'रिपोर्टर- अच्छा उसमें आप थे.
निकम- हां, मैं था.
रिपोर्टर- हां
निकम- हमने विरोध (नाटक को लेकर) किया था. लेकिन कुछ नहीं हुआ. तो हमने उन्हें डरा कर ऐसा करने से रोकने की कोशिश की. इसलिए ऐसा किया.
निकम ने सनातन संस्था के साथ जुड़ाव कबूल करते हुए कहा कि वो वर्ष 2000 से ही इसका अनुयाई है.
निकम ने कहा, 'हां, मैं साधक हूं.' निकम के मुताबिक उसका संस्था के पनवेल आश्रम में आना-जाना था.'
निकम- 'मैं पनवेल आश्रम में आता-जाता था, लेकिन रहता घर पर ही था. वहीं मैं दूसरों के संपर्क में आया.'
निकम ने कबूल किया कि हमले के प्लान पर अमल महाराष्ट्र के पनवेल में संस्था के केंद्र पर हुआ था.
लेकिन निकम सनातन संस्था से अकेला शख्स नहीं जिसने आतंकी प्लॉट में अपनी भूमिका होना कबूल किया. 58 वर्षीय हरिभाऊ कृष्णा दिवेकर भी सनातन संस्था का अनुयाई है जिसने कबूल किया कि 2008 के बम धमाकों में उसकी ज्यादा बड़ी भूमिका थी जिसके लिए अभियोजन उसे दोषी ठहराने में नाकाम रहा.
ATS चार्जशीट के मुताबिक दिवेकर केस के दो दोषियों में से एक का बहुत करीबी रहा है. हालांकि हमलों के तीन साल बाद पर्याप्त सबूतों के अभाव में दिवेकर बरी हो गया.
रायगढ़ में अपने घर में इंडिया टुडे SIT के कवर रिपोर्टर के सामने दिवेकर ने माना कि उसने अपने पास विस्फोटक रखे हुए थे जिसका ATS ने अपनी चार्जशीट में दर्ज ही नहीं किया.दिवेकर- 'जब मैं उधर गया तब पुलिस यहां आई और हमारे घर चेकिंग की. तभी जांच भी चल रही थी. हमारे पास जो कुछ था, उन्हें दे दिया.'
दिवेकर- 'क्या है कि उस समय रिवॉल्वर थी एक-दो, और डेटोनेटर, डेटोनेटर बोलते हैं ना. जिलेटिन (स्टिक), डिजिटल मीटर्स. 20 के करीब
जिलेटिन थी और 23 डिटोनेटर थे. तब वो सब ले गए.'
रिपोर्टर- 'आपके पास वो सब कब से थे?'दिवेकर- 'ये (विस्फोटक) 5-6 दिन से थे.'
एटीएस चार्जशीट के मुताबिक छह संदिग्धों ने जनवरी 2008 से जून 2008 के बीच बम हमलों के जरिए आतंक फैलाने की साजिश रची थी. इन संदिग्धों में रमेश हनुमंत गडकरी, मंगेश दिनकर निकम, विक्रम विनय भावे, संतोष सीताराम आंगरे, हरिभाऊ कृष्ण दिवेकर और हेंमत तुकाराम चालके को नामजद किया गया.
अभियोजन के मुताबिक इन संदिग्धों के निशाने पर तब वो थिएटर थे जो 'आमही पचपुते' नामक मराठी नाटक का मंचन कर रहे थे और जहां बॉलीवुड फिल्म जोधा-अकबर को दिखाया जा रहा था. 2011 में ट्रायल कोर्ट ने गडकरी और भावे को दोषी ठहराया और अन्य चार को बरी कर दिया.
केंद्र तक ले जाएंगे मामलाः गृह राज्य मंत्री
सनातन संस्था पर इंडिया टुडे SIT की जांच के टीवी पर प्रसारित होते ही महाराष्ट्र सरकार हरकत में आ गई और कार्रवाई का आश्वासन दिया. महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने वादा किया कि वो इस मामले को केंद्र सरकार तक ले जाएंगे.
केसरकर ने कहा, 'जो सबूत हमने आज देखे, हमारी सरकार कार्रवाई करेगी.' मंत्री ने इंडिया टुडे को बताया, 'अगर वो बरी कर दिए गए थे तो हम इस मामले को देंखेंगे. पता लगाएंगे कि क्या उन पर कानून के तहत दोबारा एक्शन लिया जा सकता है. हम सारे सबूत केंद्र को भेजेंगे.'
सनातन संस्था के पहले बरी हो चुके दो साधकों की ओर से अपनी भूमिका कबूल किए जाने को देखते हुए क्या संस्था पर प्रतिबंध लगाने की संभावना है? ये पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस संबंध में तय प्रक्रियाओं का पालन करेगी. केसरकर ने कहा, 'नए सबूत जो आपने हमें दिए हैं, केंद्र को भेजें जाएंगे और इन पर सरकार निश्चित रूप से कार्रवाई करेगी. किसी संगठन को बैन करने की एक प्रक्रिया हैं और उस प्रक्रिया का पालन किया जाएगा.'
मंत्री ने वादा किया कि इंडिया टुडे की जांच को हाईकोर्ट में प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जाएगा जहां ब्लास्ट में बरी किए गए लोगों के खिलाफ अपील लंबित है. केसरकर ने कहा, 'हम सभी कानूनी पहलुओं को खंगालेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि इस केस को जल्द से जल्द हाईकोर्ट के सामने लाया जाए. हम केस को त्वरित तरीके से बढ़ाने के लिए प्रयास करेंगे.'
तत्काल प्रभाव से बैन लगाने की मांग
इंडिया टुडे की ओर से किए गए खुलासे के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सनातन संस्था पर तत्काल प्रभाव से बैन लगाने की मांग की है. चव्हाण ने कहा, 'अगर हम सनातन संस्था की पृष्ठभूमि देखें तो बड़ी स्याह तस्वीर सामने आती है.
ठाणे जिले में चार हत्याएं, एक बम फैक्ट्री. ये संस्था गोवा में भी बम बनाने में शामिल रही है. हैरानी है कि कैसे ऐसे संगठनों का अस्तित्व बने रहने दिया जाता है जो सीक्रेट मर्डर सोसाइटी की तरह काम कर रहे हैं. हम ऐसे व्यक्ति को क्यों नहीं पकड़ सकते जो ट्रिगर निकालता है.'
वहीं सनातन संस्था ने अपनी गतिविधियों का निर्लज्ज बचाव करने की कोशिश की. सनातन संस्था की सहयोगी हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता रमेश शिन्दे ने साधक के कबूलनामे से जुड़े टेप्स को ही 'छेड़छाड़ से तैयार किया' बता दिया.
खुलासे पर ही सवाल
शिन्दे के सामने नेशनल टीवी पर अकाट्य सबूत पर बात की गई तो उन्होंने इसे खारिज करते हुए कहा, 'क्या ये पूरा वीडियो है? क्या आपके पास सारे टेप्स हैं. आप इस केस को गढ़ रहे हैं.'
संस्था के प्रवक्ता ने बरी साधकों के कैमरे पर कबूलनामों को भी चुनौती देते हुए कहा, 'ये कानून की अदालत में स्वीकार नहीं होंगे. शिन्दे ने कहा, 'मैं इतना कहना चाहता हूं कि क्या ये सबूत आईटी एक्ट के तहत टिकेंगे? अगर आप में इतनी हिम्मत है तो इस सबूत के आधार पर एफआईआर दर्ज कीजिए. आप जो सबूत दिखा रहे हैं इसकी कोर्ट में साबित हुए बिना कोई अहमियत नहीं है.'
पत्रकार निखिल वागले ने कहा है कि इंडिया टुडे की जांच से सनातन संस्था की हिंसक कट्टर गतिविधियां साबित होती हैं. वागले को संगठन के खिलाफ आलोचनात्मक रुख रखने की वजह से कथित तौर पर पहले धमकियां मिल चुकी हैं.
वागले ने कहा, 'मैं इंडिया टुडे को इस पर्दाफाश के लिए बधाई देता हूं. मैं 10-12 साल से जानता हूं कि ये लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं. ये आध्यात्मिक संगठन नहीं बस आतंकी संप्रदाय है.'
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने संस्था के बरी साधकों के खिलाफ मामलों को दोबारा खोले जाने की मांग की. सलमान खुर्शीद ने कहा, 'जो लोग बरी किए जा चुके हैं, उनके खिलाफ मामले दोबारा खोलने के लिए ये फिट केस है. अटॉर्नी जनरल को इस ओर ध्यान देना चाहिए.'