scorecardresearch
 

उरी हमला: जांच में बढ़ सकती है मुश्कि‍ल, आतंकियों ने डिलीट किया GPS डेटा

इस बार आतंकवादियों ने डिजिटल कोड का इस्तेमाल किया था जिसे ट्रेस नहीं किया जा सकता. जांच में दूसरी सबसे बड़ी परेशानी यह सामने आ रही है कि अब तक जो भी जीपीएस रिकवर किए गए हैं उन्हें देख कर पता लगता है कि आखिरी लोकेशन को डिलीट किया गया है.

Advertisement
X
खासी ट्रेनिंग के साथ आए थे उरी के हमलावर
खासी ट्रेनिंग के साथ आए थे उरी के हमलावर

Advertisement

NIA उरी हमले के साजिशकर्ताओं तक पहुंचने के लिए हर सबूत जुटाने की कोशिश में है. लेकिन 'आज तक' को मिली जानकारी के मुताबिक हमला करने वाले आतंकी बेहतर तरीके से प्रशिक्षित थे और उन्होंने डिजिटल कोड्स का इस्तेमाल किया था ताकि उनकी लोकेशन को ट्रेस न किया जा सके. इतना ही नहीं आतंकियों ने जीपीएस से अपनी आखिरी लोकेशन भी डिलीट कर दी है. इससे NIA की जांच को धक्का लग सकता है.

पठानकोट के हमलावरों से ज्यादा स्मार्ट उरी पर हमला करने वाले
ऐसा माना जा रहा है कि उरी पर हमला करने वाले आतंकी तकनीक के मामले में उन आतंकियों से ज्यादा समझ रखते थे जिन्होंने पठानकोट पर हमला किया था. खुफिया सूत्रों की माने तो उरी पर हमला करने वाले आतंकियों का रूट मैप ट्रैक करना आसान नहीं होगा. इस बार आतंकवादियों ने डिजिटल कोड का इस्तेमाल किया था जिसे ट्रेस नहीं किया जा सकता. जांच में दूसरी सबसे बड़ी परेशानी यह सामने आ रही है कि अब तक जो भी जीपीएस रिकवर किए गए हैं उन्हें देख कर पता लगता है कि आखिरी लोकेशन को डिलीट किया गया है.

Advertisement

जापान में बने ICOM फोन का इस्तेमाल
ICOM सेटेलाइट फोन जापान में बनते हैं. इनका इस्तेमाल अकसर आतंकवादी करते हैं. सूत्रों की माने तो इसको इस्तेमाल करने के लिए काफी ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है. सूत्रों के मुताबिक इस तरह के सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल पाकिस्तानी आर्मी की मदद के बिना नहीं किया जा सकता है.

Advertisement
Advertisement