सरकार ने चुनिंदा निर्यातकों के लिए रियायती निर्यात वित्त व्यवस्था को एक साल और यानी 31 मार्च,

2011 तक जारी रखने का प्रस्ताव किया है. इससे मंदी से प्रभावित इस क्षेत्र को राहत मिल सकेगी.

"/> सरकार ने चुनिंदा निर्यातकों के लिए रियायती निर्यात वित्त व्यवस्था को एक साल और यानी 31 मार्च,

2011 तक जारी रखने का प्रस्ताव किया है. इससे मंदी से प्रभावित इस क्षेत्र को राहत मिल सकेगी.

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2011 तक जारी रखने का प्रस्ताव किया है. इससे मंदी से प्रभावित इस क्षेत्र को राहत मिल सकेगी.

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निर्यातकों को ब्याज सब्सिडी एक साल और मिलेगी

सरकार ने चुनिंदा निर्यातकों के लिए रियायती निर्यात वित्त व्यवस्था को एक साल और यानी 31 मार्च, 2011 तक जारी रखने का प्रस्ताव किया है. इससे मंदी से प्रभावित इस क्षेत्र को राहत मिल सकेगी.

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सरकार ने चुनिंदा निर्यातकों के लिए रियायती निर्यात वित्त व्यवस्था को एक साल और यानी 31 मार्च,

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2011 तक जारी रखने का प्रस्ताव किया है. इससे मंदी से प्रभावित इस क्षेत्र को राहत मिल सकेगी.


वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आज लोकसभा में
2010-11 का बजट पेश करते हुए कहा, ‘‘मैं हस्तशिल्प, कालीन, हथकरघा तथा छोटे और मध्यम उपक्रमों को ब्याज की दो फीसद की छूट को एक साल तक और जारी रखने का प्रस्ताव करता हूं.’’ यह योजना 31 मार्च, 2010 में खत्म हो रही थी.

रोजगार का सृजन करने वाले हथकरघा
, हस्तशिल्प, कालीन, चमड़ा आदि क्षेत्रों को मंदी के प्रभाव से बचाने के लिए सरकार ने पिछले बजट में रियारती निर्यात वित्त की योजना शुरू की थी, जो 31 मार्च, 2010 को खत्म हो रही थी. अब सरकार ने इस योजना को एक साल के लिए और बढ़ा दिया है.

अक्तूबर
, 2008 से देश के निर्यात में लगातार 13 माह तक गिरावट आई थी. नवंबर, 2009 में निर्यात फिर से सकारात्मक हुआ था. नवंबर में निर्यात में 18. 2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई, जबकि दिसंबर, 2009 में निर्यात 9. 3 फीसद बढ़ा.

वित्त मंत्री ने कहा कि जनवरी माह के निर्यात के आंकड़े भी उत्साहवर्धक हैं. जनवरी में देश का निर्यात पिछले साल के इसी महीने की तुलना
में 11. 5 प्रतिशत बढ़ा था.

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