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खुलासाः अरुण विजयकुमार के नासा में वैज्ञानिक होने की बात निकली झूठी

कुछ दिनों पहले अखबार में ये खबर छा गई थी कि कोट्टयम के मणिमाला के रहने वाले एक 27 वर्षीय अरुण पी विजयकुमार को अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में चुना है और उनके ज्ञान और देशभक्ति से अभिभूत होकर उनके लिए नागरिकता के नियमों में भी छूट दी जा रही है.

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अरुण पी विजयकुमार
अरुण पी विजयकुमार

कुछ दिनों पहले अखबार में ये खबर छा गई थी कि कोट्टयम के मणिमाला के रहने वाले एक 27 वर्षीय अरुण पी विजयकुमार को अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में चुना है और उनके ज्ञान और देशभक्ति से अभिभूत होकर उनके लिए नागरिकता के नियमों में भी छूट दी जा रही है.

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अब खुद अरुण विजयकुमार ने डेक्कन क्रॉनिकल न्यूजपेपर के जरिए यह खुलासा किया है कि ये खबर उन्हीं के द्वारा गलत तरीके से फैलाई गई थी. उसने यह भी बताया कि वो अमेरिका में नासा प्रोजेक्ट के लिए नहीं गया था. इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक बारबरा लेस्को से मिलने की बात भी झूठी है और ये भी उसी के द्वारा फैलाई गई थीं.

पिछले महीने एक इंटरव्यू में हिंदू की वेबसाइट को बताया था कि नासा में उसके द्वारा किए गए काम के जरिए ‘रिमोट सेंसिंग के जरिए अलौकिक तत्वों’ की खोज में मदद मिलेगी. उसने यह भी बताया था कि वो प्रसिद्ध अमेरिकी इंजीनियरिंग कॉलेज मेसाचुसेट्स (एमआईटी) से पीएचडी कर रहा है.

लेकिन अब विजयकुमार ने यह स्वीकार किया है कि उसके द्वारा बताई गई ये सभी बातें गलत हैं. विजयकुमार के बारे में यह खुलासा तब हुआ जब सोशल मीडिया पर नजर रखने वाली पुलिस सेल को इसका पता चला. पुलिस अधिकारी ने बताया कि विजयकुमार ने यह सिर्फ प्रसिद्धि पाने के लिए किया.

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मजेदार तो यह है कि विजयकुमार मेसाचुसेट्स में लेक्चरर न होकर रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान में जुलाई 2013 से जुलाई 2014 तक लेक्चरर थे.

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