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Exposed: तो सनातन संस्था को राजनीतिक दबाव ने बचाया!

अभियोजकों के मुताबिक ये धमाका गोवा में दीवाली से पहले होने वाले नरकासुर उत्सव को निशाना बनाने के लिए किया जाना था जिससे कि सांप्रदायिक तनाव फैलाया जा सके. सम्मोहन विद्या से इलाज के माहिर डॉ जयंत आठवले ने 1999 में सनातन संस्था की स्थापना की.

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1999 में सनातन संस्था की स्थापना करने वाले डॉ जयंत आठवले (फाइल फोटो)
1999 में सनातन संस्था की स्थापना करने वाले डॉ जयंत आठवले (फाइल फोटो)

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पत्रकार गौरी लंकेश, विद्वान एमएम कलबुर्गी, गोविंद पनसारे और सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर आज जीवित हो सकते थे? वो जीवित नहीं हैं क्योंकि नौ साल पहले राजनीतिक दबाव ने संदिग्ध सनातन संस्था को बैन होने से बचा लिया था. गोवा स्थित इस संगठन की तहकीकात करने वाले जांचकर्ताओं ने इंडिया टुडे से ये खुलासा किया.

2009 में संस्था के दो कथित साधक गोवा के मडगांव में धमाके के लिए विस्फोटक लगाने की कोशिश में मारे गए थे. अभियोजकों के मुताबिक ये धमाका गोवा में दीवाली से पहले होने वाले नरकासुर उत्सव को निशाना बनाने के लिए किया जाना था जिससे कि सांप्रदायिक तनाव फैलाया जा सके. सम्मोहन विद्या से इलाज के माहिर डॉ जयंत आठवले ने 1999 में सनातन संस्था की स्थापना की.

राजनीतिक दबाव से नहीं लगा बैन

मडगांव ब्लास्ट में सनातन संस्था की कथित भूमिका की जांच करने वाले वरिष्ठ पुलिस और ATS अधिकारियों ने इंडिया टुडे के रिपोटर्स को बताया कि उनकी जांच में 'राजनीतिक दबाव' की वजह से बाधा आई थी.

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गोवा के फोंडा में SHO रह चुके सीएल पाटिल ने कहा, 'राजनीतिक दबाव था. अगर राजनीतिक दबाव ना होता तो इस पर (सनातन संस्था ) पर बहुत पहले ही बैन लग गया होता.' फोंडा में ही सनातन संस्था का मुख्यालय है. पाटिल ने ये भी बताया कि संगठन को बैन करने के लिए उनका खुद का प्रस्ताव आखिर कैसे ठुकरा दिया गया था.

इंडिया टुडे के इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टर ने पाटिल से पूछा कि उन्हें क्यों लगा कि इसे बैन करना चाहिए? और उन्होंने किस आधार पर प्रस्ताव को आगे बढ़ाया?

पाटिल ने खुलासा किया- 'जो ये घटना हुई थी, मडगांव में हुई थी. कुछ और घटनाएं भी हुईं थीं महाराष्ट्र में, उससे पहले भी उनके खिलाफ 7-9 केस हुए.' उन्होंने कहा, 'ऐसे संगठन जो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ रहे हैं उन्हें बंद करना चाहिए, मैंने ये लिखा था (फाइल में). ये भी बताया था कि महाराष्ट्र में उनके खिलाफ कहां-कहां केस लगे.'

बिना कार्रवाई के वापस आया सुझाव

पाटिल के मुताबिक उन्होंने संगठन को बैन करने का जो सुझाव भेजा था वो बिना किसी कार्रवाई के वापस आ गया था. पाटिल ने कहा, 'मैंने ठीक यही लिखा था कि कम से कम गोवा में इस संगठन पर बैन लगना चाहिए क्योंकि गोवा शांतिपूर्ण राज्य है. मैंने डिप्टी एसपी को ये सिफारिश भेजी थी. उन्होंने इसे डीजीपी को भेजा, लेकिन ये वापस आ गई.'

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रिपोर्टर- 'कहां से ये वापस आई?'

पाटिल- 'ऊपर नीचे, ऊपर नीचे होता रहा. बाद में एक ऑफिसर आया, उसने बोला ये नहीं जाना चाहिए.'

पाटिल ने जोर देकर कहा कि ये सब गोवा के एक ताकतवर नेता के दबाव की वजह से हुआ. पाटिल ने दावा किया- 'सबसे पहले ये इतनी राजनीतिक बात है. कोई पुलिसवाला अंदर (संस्था के) नहीं जा सकता. वहां कोई जांच नहीं होती. धर्म का नाम आया तो सब चुप बैठते हैं. मंत्रालय और कानून प्रवर्तन एजेंसी दोनों शामिल हैं.'

पाटिल ने गोवा में सत्तारूढ़ गठबंधन के एक हाईप्रोफाइल नेता के सनातन संस्था के साथ पारिवारिक संबंध होने का दावा किया.

इंडिया टुडे फिलहाल गोवा के सत्तारूढ़ गठबंधन के उस राजनेता की पहचान नहीं खोल रहा. नेता की संस्था के साथ संभावित भूमिका को लेकर मनोहर पर्रिकर सरकार का स्पष्टीकरण अभी आना बाकी है. पाटिल ने कहा कि उस नेता की पत्नी सनातन संस्था की मैनेजर है और उसे चलाती है, नेता के दूसरे भाई की पत्नी भी संगठन से जुड़ी है.

बता दें कि बीते साल पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से जुड़े केस में करीब एक दर्जन संदिग्ध गिरफ्तार किए गए थे जिनमें अमित डेगवेकर का भी नाम था. इंडिया टुडे के पास डेगवेकर की वोटर आईडी और बैंक रसीदों की कॉपी मौजूद हैं. इनमें डेगवेकर का रिहाइशी पता गोवा के फोंडा में सनातन संस्था के मुख्यालय को दिखाया गया है.

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पाटिल ने डेगवेकर के मडगांव ब्लास्ट के अभियुक्त मालगोंडा पाटिल के साथ संबंधों का भी खुलासा किया. मालगोंडा नौ साल पहले बम प्लांट करते हुए मारा गया था.

फोंडा के तत्कालीन एसएचओ पाटिल ने बताया कि गौरी लंकेश हत्या के संदिग्ध और मालगोंडा पाटिल एक ही कमरे को शेयर करते थे. ये कमरा फोंडा में संगठन के मुख्यालय में संस्था के संस्थापक जयंत आठवले के कमरे के बगल में ही था.

पाटिल ने बताया- 'अभी जो डेगवेकर पकड़ा गया है और जो शख्स  मडगांव ब्लास्ट में मरा था. दोनों आठवले के साथ वाले कमरे को ही शेयर करते थे. दोनों कमरों को एक छोटी सी दीवार अलग करती थी और बीच में रास्ता भी था. तो इन लोगों को कौन पढ़ा रहा था? वो रूम पार्टनर था. उसे क्यों जांच के लिए नहीं ले जाया गया. उसको क्यों छोड़ दिया? उसका रोल क्यो नहीं वेरिफाई किया? अगर उस टाइम पर उसको पकड़ा होता तो गौरी लंकेश की हत्या करने ये नहीं पहुंचा होता. ये हत्या नहीं होती.'

बैन लगता तो मर्डर नहीं होता

पाटिल ने कहा, 'हमने प्रस्ताव (सनातन संस्था को बैन करने का) भेजा था 2009-10 में. अगर तब इस संगठन पर बैन लग जाता तो कम से कम ये 4-5 मर्डर नहीं होते.'

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गोवा में आतंक विरोधी स्क्वॉड के इंस्पेक्टर सलीम शेख ने भी संस्था और सत्ता के दलालों के बीच कथित गठज़ोड़ का हवाला दिया. शेख ने दावा किया कि एक ताकतवर नेता ने सनातन संस्था को मजबूत कवच दे रखा था.

शेख ने कहा, 'उनकी सारी गतिविधियां यहां अंडरग्राउंड है लेकिन उन्हें बहुत सारा सक्रिय राजनीतिक समर्थन प्राप्त है. उसकी (नेता की) पत्नी सनातन की बहुत सक्रिय सदस्य है. अभी से नहीं बहुत पहले से, हमने बैन के लिए प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वो नामंजूर हो गया. वो सरकार तक पहुंचा ही नहीं.'

सीबीआई के जांचकर्ता को शक है कि कई साधक जो 2009 के मडगांव ब्लास्ट की साजिश रचने में शामिल रहे और फरार हैं, वही गौरी लंकेश की 2017 में, पनसारे और कलबुर्गी की 2015 में, दाभोलकर की 2013 में हुई हत्याओं में शामिल रहे हो सकते हैं.

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