सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नौसेना को अपने ऑफिसर को निकालने से रोक दिया. नौसेना के ऑफिसर पर अपने दोस्त की पत्नी से संबंध बनाने का आरोप था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नरमी बरतते हुए कहा कि संबंध आपसी सहमति से बने थे और इस बारे में कोई शिकायत दर्ज नहीँ कराई गई. ऐसे में ऑफिसर को सेना से नहीं निकाल जा सकता.
अमूमन थल सेना, नौसेना और वायुसेना में अपनी पत्नी के अलावा किसी और से शारीरिक संबंध बनाने वाले ऑफिसर को नौकरी से निकाल दिया जाता है. लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. खबर के मुताबिक मुंबई के नेवी अफसर को बोर्ड ऑफ इंक्वायरी में अपने ऑफिसर दोस्त की पत्नी के साथ संबंध बनाने के आरोप में टर्मिनेट कर दिया गया था.
बोर्ड ऑफ इंक्वायरी के मुताबिक नैतिकता और देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उसे टर्मिनेट किया गया. केंद्र सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एचएल दत्तू , जस्टिस एसजे. मुखोपाध्याय और जस्टिस अरुण मिश्रा की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि ऑफिसर पर केवल दो आरोप हैं. पहला, दूसरे अधिकारी की पत्नी को सेक्स संबंधी मैसेज और फोटोग्राफ शेयर करने का और दूसरा, एक विदेशी महिला से संबंधों का जो एक भारतीय की पत्नी है. दोनों ही आरोपों में ऑफिसर के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है.
हो सकता है दोनों के बीच आपसी सहमति से संबंध बने हो. दूसरे आरोप में केंद्र सरकार ने कहा कि आप ये न भूलें कि उस विदेशी महिला से एक भारतीय ने शादी की है. और क्या आपके पास कोई सबूत है कि ऑफिसर और उस विदेशी महिला के बीच कोई गोपनीय बात हुई जिससे देश की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है. अगर आपके पास कोई सबूत नहीं है तो आप ऑफिसर को नौकरी से नहीं निकाल सकते.