scorecardresearch
 

चीन ने एलएसी के पास बना दी 5 किमी सड़क

भारत और चीन ने लद्दाख में तकरीबन 20 दिनों तक बनी रही टकराव की स्थिति खत्म होने की घोषणा भले ही कर दी हो, पर हालात पूरी तरह पटरी पर नहीं आए हैं. हाल ही में चीनी सेना ने भारतीय सेना के एक गश्ती दल को वास्तविक नियंत्रण रेखा तक जाने से रोक दिया.

Advertisement
X
India-China
India-China

भारत और चीन ने लद्दाख में तकरीबन 20 दिनों तक बनी रही टकराव की स्थिति खत्म होने की घोषणा भले ही कर दी हो, पर हालात पूरी तरह पटरी पर नहीं आए हैं. हाल ही में चीनी सेना ने भारतीय सेना के एक गश्ती दल को वास्तविक नियंत्रण रेखा तक जाने से रोक दिया.

Advertisement

यह घटना 17 मई को उस वक्त हुई, जब इसके दो ही दिन बाद चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग दिल्ली पहुंचने वाले थे. भारतीय गश्ती दल को रोके जाने की यह घटना सिरी जैप के नाम से मशहूर ‘फिंगर-8’ इलाके के पास हुई. चीनी प्रधानमंत्री के दौरे से पहले ऐलान किया गया था कि भारतीय सीमा में 19 किलोमीटर भीतर तक हुई चीनी सेना की घुसपैठ से पैदा हुई टकराव की स्थिति खत्म हो गई है. दावा किया गया था कि घुसपैठ करने वाले चीनी सैनिक अपनी पहले की जगह पर फिर से चले गए हैं.

उधमपुर के थलसेना प्रवक्ता ने तो इस घटना पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. परंतु सरकारी सूत्रों ने कहा कि फिंगर-8 इलाके में थोड़ी-बहुत टकराव की स्थिति बनी थी, जिसके बाद थलसेना का गश्ती दल एलएसी की ओर बढ़े बिना लौट गया.

Advertisement

सूत्रों ने कहा कि इस घटना के बाद लद्दाख में तैनात 14 कोर ने सभी गश्त रोक दी. दिपसांग में भेजे जाने वाले गश्ती दल को भी रोक दिया गया. दिपसांग में ही चीनी सेना ने करीब तीन हफ्ते तक अपने तंबू लगा रखे थे. सूत्रों ने कहा कि चीन ‘फिंगर-4’ इलाके तक सड़क बनाने में कामयाब रहा है. ‘फिंगर-4’ इलाका भी सिरी जैप इलाके के दायरे में आता है और यह भारतीय सीमा में एलएसी से पांच किलोमीटर भीतर है.

चीनी अपने नक्शे में दावा करते हैं कि यह इलाका उनके सीमा-क्षेत्र में आता है, जबकि भारतीय सेना का दावा है कि यह लद्दाख का हिस्सा है. इस इलाके के बाबत अक्सर 1962 के युद्ध का हवाला दिया जाता है जब भारत और चीन की सेना ने इस इलाके में घमासान लड़ाई लड़ी थी. इस इलाके में चीनी सेना (पीएलए) से लोहा लेने के लिए मेजर धान सिंह थापा को परमवीर चक्र से नवाजा गया था.

बहरहाल, सूत्रों ने कहा कि ऐसे समय में जब वार्ता की मेज पर भारत अपने पक्ष को सही ठहराने की कोशिश कर रहा है, चीनी सेना ने सड़क बना कर दावा किया है कि यह इलाका अक्साई चिन का हिस्सा है. उन्होंने बताया कि कई दफा भारतीय सेना ने इसी सड़क का इस्तेमाल गश्त के लिए किया है और इस पर अपना दावा जताती रही है.

Advertisement

माना जा रहा है कि बीते 15 अप्रैल को सुदूर दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में चीनी घुसपैठ इस वजह से हुई क्योंकि चुमार डिवीजन में एक निगरानी टावर का निर्माण किया गया.

इस साल मार्च महीने के आखिरी हफ्ते में हुई फ्लैग मीटिंगों के ब्योरे के मुताबिक, चीनी पक्ष ने एलएसी के पास चुमार डिवीजन में निगरानी टावर के निर्माण पर ऐतराज जताया था. चुमार डिवीजन यहां से करीब 300 किलोमीटर की दूरी पर है.

सूत्रों ने बताया कि टकराव की स्थिति खत्म होने की घोषणा के बाद रॉकी नॉब जैसे कुछ खास इलाकों में भारतीय सुरक्षा बलों ने गश्त करना बंद कर दिया. लद्दाख-हिमाचल प्रदेश सीमा पर स्थित एक सुदूर गांव चुमार चीन के लिए एक बड़ा मुद्दा रहा है और वह दावा करता रहा है कि यह इलाका उसका हिस्सा है. इस इलाके में चीन कमोबेश हर साल हेलीकॉप्टर के जरिए घुसपैठ करता है. पिछले साल तो इस क्षेत्र में चीन ने पीएलए के कुछ जवानों को यहां तैनात कर दिया था और थलसेना तथा आईटीबीपी के अस्थायी स्टोरेज तंबू हटा दिए थे.

चीन की सीमा से इस इलाके में नजर नहीं रखी जा सकती है पर भारत ने करीब आखिरी बिंदु तक सड़क बना रखी है जो नौ टन तक का भार सह सकती है.

Advertisement

विभिन्न भारतीय रक्षा बलों में समन्वय की थोड़ी कमी नजर आ रही है. आईटीबीपी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से शिकायत की है कि उन्हें 5 मई को चीन के साथ हुई फ्लैट मीटिंग से बाहर रखा गया. 5 मई को हुई फ्लैग मीटिंग में ही दोनों देशों ने अपनी-अपनी सेना पीछे हटाने का फैसला किया था.

Advertisement
Advertisement