भारत में नफरत फैलाने वाले कंटेंट पर अपने पक्षपाती रुख को लेकर फेसबुक राजनीतिक विवादों में है. ये विवाद 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' में एक रिपोर्ट छपने के बाद शुरू हुआ. इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी ने भारत में अपनी खुद की हेट स्पीच पॉलिसी की अवहेलना की और भारत सरकार के साथ अपने संबंधों को बचाने के लिए सांप्रदायिक सामग्री पोस्ट करने दी.
ये रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद भारत की दो सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों- कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने एक ट्वीट में फेसबुक पर पक्षपात का आरोप लगाया और दावा किया कि बीजेपी-आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) भारत में फेसबुक और वॉट्सऐप को नियंत्रित करते हैं. इसके जरिए वे फर्जी खबरें और नफरत फैलाते हैं.
BJP & RSS control Facebook & Whatsapp in India.
They spread fake news and hatred through it and use it to influence the electorate.
Finally, the American media has come out with the truth about Facebook. pic.twitter.com/Y29uCQjSRP
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 16, 2020
फेसबुक ने ये कहते हुए इस आरोप का खंडन किया कि 'हम नफरत फैलाने वाले भाषण और हिंसा उकसाने वाली सामग्री को प्रतिबंधित करते हैं और हम इन नीतियों को विश्व स्तर पर किसी की राजनीतिक स्थिति या पार्टी से संबंध की परवाह किए बिना लागू करते हैं.'
कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हम जानते हैं कि अभी करने के लिए और भी बहुत कुछ है, लेकिन हम नियमों को लागू करने के मामले में प्रगति कर रहे हैं, निष्पक्षता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए हमारी प्रक्रिया का नियमित ऑडिट होता है.' अगर फेसबुक के पिछले कुछ आंकड़े देखें तो ऐसा लगता है कि नफरत फैलाने वाले कंटेंट से निपटने के मुद्दे पर सोशल मीडिया कंपनी गंभीर है. पिछले दो वर्षों में फेसबुक ने नफरत फैलाने वाली सामग्री को हटाने की अपनी कोशिशों को पर्याप्त रूप से बढ़ाया है.
11 अगस्त, मंगलवार को कम्युनिटी स्टैंडर्ड इन्फोर्समेंट पर जारी फेसबुक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने इस साल अप्रैल से जून के बीच ऐसे 22.5 मिलियन (2 करोड़ 25 लाख) कंटेंट पर कार्रवाई की, जिसमें कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले कंटेंट थे. 2020 के पहले तीन महीनों में सिर्फ 96 लाख कंटेंट पर ही कार्रवाई हुई थी. ये संख्या पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में पांच गुना ज्यादा है, जब फेसबुक ने अप्रैल से जून 2019 में लगभग 44 लाख हेट कंटेंट को हटाया था.
फेसबुक नफरत भरे भाषण को 'हिंसक या अमानवीय भाषण, हीनता भरे बयान के रूप में परिभाषित करता है और ऐसी सामग्री हटाने के लिए कहता है. इसके फेसबुक नस्ल, जातीयता, मूल, धार्मिक संबंध, लैंगिक रुझान, जेंडर, लिंग, लैंगिक पहचान, दिव्यांगता या बीमारी आदि को आधार बनाता है.'
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कंपनी अपने मशीन लर्निंग अल्गोरिदम को बेहतर बना रही है ताकि नफरत फैलाने वाली सामग्री को पोस्ट करते ही पहचान लिया जाए. 2018 में हेट स्पीच वाले कंटेंट को यूजर्स की ओर से रिपोर्ट किया गया था. लेकिन 2020 में फेसबुक ने ज्यादातर ऐसे कंटेंट की पहचान खुद ही की और यूजर्स के रिपोर्ट करने से पहले ही या तो उसे हटा दिया या फ्लैग कर दिया. जनवरी-मार्च के बीच करीब 90 प्रतिशत और अप्रैल-जून के बीच 95 प्रतिशत ऐसे कंटेंट की पहचान फेसबुक ने खुद ही की.
फेसबुक की ‘सक्रियता दर’ काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि कंपनी जितनी जल्दी हेट कंटेंट का पता लगाकर उसे हटा देती है, उतने ही कम यूजर्स उसके संपर्क में आते हैं या उसे शेयर कर पाते हैं.
सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी ने यह भी कहा है कि वह अपनी कम्युनिटी स्टैंडर्ड इन्फोर्समेंट रिपोर्ट को त्रैमासिक आधार पर प्रकाशित करेगी. 'फेसबुक और इंस्टाग्राम को सुरक्षित व समावेशी बनाने के लिए अपनी निरंतर प्रतिबद्धता' को प्रदर्शित करने का प्रयास करेगी.
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फेसबुक की ये रिपोर्ट ग्लोबल कंटेंट के बारे में है जो उसकी नीतियों का उल्लंघन करते हैं, लेकिन कंपनी जल्द ही भारत में हेट स्पीच कंटेंट के प्रति और ज्यादा जवाबदेह हो सकती है क्योंकि संसद सदस्य शशि थरूर और तेजस्वी सूर्या ने ट्वीट किया है कि वे नागरिकों को सुरक्षा के लिए इस मामले को सही मंच पर उठाएंगे. सांसद शशि थरूर और तेजस्वी सूर्या सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के सदस्य हैं.
Our Parliamentary committee will, in the normal course, consider testimony under the topic “Safeguarding citizens’ rights & prevention of misuse of social/online news media platforms”. The subject is squarely within the IT Cmt’s mandate& @Facebook has been summoned in the past. https://t.co/saoK8B7VCN
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 16, 2020
Many have complained that Facebook is unfairly censoring many nationalist, pro-India or pro-Hindu voices
As member of Standing Committee on IT, I will take it up with concerned in appropriate forum.
Please send me your complaints, if any, on the issue to contact@tejasvisurya.in
— Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) August 16, 2020
फिलहाल भारत में फेसबुक के लगभग 35 करोड़ यूजर हैं, जबकि इसकी सहायक कंपनी वॉट्सऐप के 30 करोड़ से ज्यादा और इंस्टाग्राम के लगभग 15 करोड़ यूजर हैं.