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फैक्ट चेक: अशोक गहलोत ने नहीं दी कुम्भलगढ़ किले में मुस्लिम धर्म सम्मेलन की इजाजत

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने पड़ताल में पाया कि राजस्थान के कुम्भलगढ़ किले में राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय को धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने की इजाजत की खबर भ्रामक है. कुम्भलगढ़ किले में कार्यक्रम के लिए गहलोत सरकार अनुमति देने के लिए अधिकृत नहीं है और ये कार्यक्रम किले के बाहर स्थित दरगाह में आयोजित होना था.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
राजस्थान में गहलोत सरकार ने दी कुम्भलगढ़ किले में इज्तिमा की इजाजत
सोशल मीडिया पर मौजूद लोग जैसे गौरव प्रधान
सच्चाई
कुम्भलगढ़ किला भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत आता है और यहां आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के लिए वही इजाजत देता है. ये कार्यक्रम किले के बाहर स्थित दरगाह में होना था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया.

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सोशल मीडिया पर एक खबर में ये दावा किया जा रहा है कि राजस्थान के कुम्भलगढ़ किले में राज्य की कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम समुदाय को इज्तिमा (धार्मिक कार्यक्रम) करने की इजाजत दे दी है.  ट्वीट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि ये खबर भ्रामक है. कुम्भलगढ़ किले में कार्यक्रम के लिए गहलोत सरकार अनुमति देने के लिए अधिकृत नहीं है और ये कार्यक्रम किले के बाहर स्थित दरगाह में आयोजित होना था.

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खुद को डेटा साइंटिस्ट, एडवाइजर, डिजिटल स्ट्रैटेजिस्ट और प्रोफेशनल स्पीकर कहने वाले गौरव प्रधान ने ट्वीट करते हुए लिखा:, "जो अकबर न कर सका वो अशोक गहलोत ने कर दिखाया. राजस्थान सरकार ने महाराणा प्रताप के कुम्भलगढ़ किले में इज्तिमा की इजाजत प्रदान की. जिस किले में हमेशा एकलिंगनाथ, हर हर महादेव का जयघोष होता रहा, वहां पहली बार अल्ला हु अकबर गूंजेगा. दिस इज @INCIndia फॉर यू, थिंक बिफोर यू वोट."

खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को 6000 से ज्यादा बार रीट्वीट किया जा चुका था. गौरव प्रधान को ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी फॉलो करते हैं.

वहीं फेसबुक पर भी "The Awakened Bharat " और हरिहर निवास शर्मा सहित कई लोगों ने इस पोस्ट को शेयर किया है.

वायरल पोस्ट का सच जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की तो पाया कि राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित कुम्भलगढ़ किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के अंतर्गत आता है. इसके चलते यहां होने वाले किसी भी आयोजन की अनुमति देने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है. लिहाजा गहलोत सरकार इस किले के अंदर धार्मिक कार्यक्रम करने की इजाजत दे, ऐसा सवाल ही नहीं उठता.

जश्न ए गरीब नवाज नाम के इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाली "नसीबन बेगम गरीब नवाज इंतेजामिया कमेटी" के अध्यक्ष अब्दुल शेख ने इंडिया टुडे को बताया कि उनकी मां नसीबन बेगम के हज यात्रा से लौटने की खुशी में ये कार्यक्रम रखा गया था. कार्यक्रम 12 मार्च को कुम्भलगढ़ किले के बाहर करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित बडला पीर की दरगाह में होना था, लेकिन तमाम विरोध के चलते इसे रद्द कर दिया गया.

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अब्दुल ने कार्यक्रम रद्द करने के लिए पत्र भी लिखा था जिसमें आम बोल चाल की भाषा के चलते कार्यक्रम किले पर होने की बात लिखी गई है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि कार्यक्रम किले के बाहर होना था.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के सुप्रिटेंडेंट डी आर बडिगर ने बताया कि कुम्भलगढ़ किले के अंदर इस तरह के किसी कार्यक्रम की अनुमति के लिए विभाग को आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि कुम्भलगढ़ किला अभिरक्षित स्मारक (प्रोटे​क्टेड मॉन्यूमेंट) है और यहां किसी भी आयोजन की अनुमति एएसआई विभाग ही देता है, राज्य सरकार नहीं.

क्या होता है इज्तिमा?

इज्तिमा तबलीगी जमात का बेहद खास कार्यक्रम है जिसमें मुसलमानों को इस्लाम की बुनियादी शिक्षाओं के बारे में याद दिलाया जाता है. ये सम्मेलन आम तौर पर तीन दिन का होता है जिसमें बड़ी संख्या में मुसलमान हिस्सा लेते हैं. हालांकि इसे छोटे स्तर पर भी आयोजित किया जा सकता है.

(राजसमंद से देवी सिंह खरवड के इनपुट के साथ)

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