देश को स्वतंत्रता मिलने के 71 साल भी राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ा एक विवाद है जो थमने का नाम नहीं लेता. हर साल राष्ट्रीय दिवसों पर ये विवाद सामने आ जाता है. ये विवाद है- ‘राष्ट्रीय ध्वज को किसने डिजाइन किया था.’ विकीपीडिया पर ढूंढेंगे तो इस साल का जवाब मिलेगा- ‘पिंगली वेंकैया’. लेकिन कई इतिहासकारों की तरह बहुत से इंटरनेट यूजर्स भी आंख मूंद कर इस जवाब पर विश्वास नहीं करते.
ट्विटर और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म्स पर एक संदेश फैलाया जा रहा है कि ‘भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को हैदराबाद की मुस्लिम महिला श्रीमती सुरैया बदरूद्दीन तैयबजी ने डिजाइन किया था.’ इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने ऐतिहासिक तथ्यों को खंगाल कर राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन करने के संबंध में दावों-प्रतिदावों की सच्चाई जानने की कोशिश की.
राष्ट्रीय ध्वज की उत्पत्ति
1921 में महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता जताई थी. शुरू में इसे आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था जो खुद कांग्रेस से जुड़े थे. गांधी चाहते थे कि वेंकैया ध्वज के बीच चरखे को भी शामिल करें. गांधी की ही इच्छा थी कि ध्वज में तीन रंग शामिल हों जिसमें लाल हिंदुओं, हरा मुस्लिमों और सफेद अन्य धर्मों के लोगों की नुमाइंदगी करें. 1931 में कांग्रेस की ध्वज समिति ने तिरंगे में कुछ बदलाव किए. लाल की जगह केसरिया को लाया गया और रंगों का क्रम भी बदला गया, जैसा कि अब हम तिरंगे में देखते हैं. (जानकारी का स्रोत- 26/9/2004 को द हिन्दू में प्रकाशित रामचंद्र गुहा का लेख- "Truths About The Tricolour”)
22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज को लेकर प्रस्ताव पारित किया. इसमें जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्रीय ध्वज में चरखे को अशोक चक्र से तब्दील करने का प्रस्ताव किया. यहां देखें प्रस्ताव...
क्या है विवाद?
संविधान सभा के प्रस्ताव में राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइनर के तौर पर ना तो पिंगली वेंकैया के नाम का उल्लेख था और ना ही सुरैया तैयबजी का. हाल में ‘द वायर’ में प्रकाशित लेख- “How the Tricolour and Lion Emblem Really Came to Be” में सुरैया तैयबजी की बेटी लैला तैयबजी ने बताया है कि किस तरह उनके पिता बदरुद्दीन तैयबजी ने नेहरू के निर्देश पर डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में ध्वज समिति का गठन किया था. बदरुद्दीन आईसीएस अधिकारी तैयबजी प्रधानमंत्री दफ्तर में कार्यरत थे.
लैला तैयबजी ने ये भी बताया कि किस तरह उनके माता-पिता ने अशोक च्रक का विचार दिया और उनकी मां ने ध्वज का ग्राफिक खाका तैयार किया. लेख में लैला तैयबजी के ही शब्दों के मुताबिक- मेरे पिता ने पहली बार ध्वज को देखा- इसे मेरी मां की निगरानी में दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित Edde Tailors & Drapers ने सिला था.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने इस संबंध में लैला तैयबजी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने इस संदर्भ में विनम्रता से और कुछ कहने से इनकार कर दिया.
कौन थीं सुरैया तैयबजी?
सुरैया तैयबजी नामचीन कलाकार थीं. वो हैदराबाद के एक प्रसिद्ध मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखती थीं लेकिन अपने गैर पारंपरिक आधुनिक दृष्टिकोण के लिए जानी जाती थीं.
उनके पति आईसीएस अधिकारी बदरुद्दीन तैयबजी ने बाद में विदेश में राजनयिक के तौर पर भी काम किया. बदरुद्दीन तैयबजी के दादा का नाम भी बदरुद्दीन तैयबजी था और वो प्रसिद्ध वकील होने के साथ कांग्रेस के सदस्य थे.
इतिहासकारों का क्या कहना है?
क्या सुरैया तैयबजी ने वाकई राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन किया था? कांग्रेस नेता नवीन जिंदल के बनाए गैर सरकारी संगठन फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक ये सुरैया बदरुद्दीन तैयबजी का ही डिजाइन था जिसे संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज के लिए मंजूर किया था. नवीन जिंदल ने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार मिलने को लेकर कानूनी लड़ाई जीतने के बाद फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया का गठन किया था.
हमने इस विषय में हैदराबाद के एक इतिहासकार ए पांडुरंग रेड्डी से बात की. उन्होंने ही राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइनर के तौर पर पिंगली वेंकैया का नाम खारिज कर सुरैया तैयबजी के नाम को आगे किया था.
रेड्डी इस संदर्भ में ब्रिटिश लेखक ट्रेवर रॉयल की किताब “The last days of the Raj” का हवाला देते हैं- “भारतीय इतिहास के साथ चलने वाले विरोधाभासों में से एक है कि राष्ट्रीय ध्वज को बदरुद्दीन तैयबजी ने डिजाइन किया था...नेहरू की कार पर उस रात जो ध्वज फहरा रहा था उसे तैयबजी की पत्नी ने खास तौर पर डिजाइन किया था.”
क्योंकि रेड्डी अपने दावों की ऐतिहासिक दस्तावेज के साथ पुष्टि नहीं कर सके, इसलिए हमने एक और प्रसिद्ध इतिहासकार सैयद इरफान हबीब से बात की. प्रोफेसर हबीब ने साफ तौर पर कहा, “ये विवादित विषय है जो कि अभी तक नहीं सुलझा. क्योंकि इस संबंध में ठोस ऐतिहासिक दस्तावेज मौजूद नहीं है इसलिए दावे और प्रतिदावे सामने आते रहते हैं...इतिहासकार इस संबंध में ज्यादा कुछ नहीं कह सकते. लेकिन ना तो हम पिंगली वैंकेया के परिवार के दावों को खारिज कर सकते हैं और ना ही सुरैया तैयबजी के”
पड़ताल से क्या सामने आया?
संसदीय अभिलेखों से सामने आया कि सुरैया तैयबजी का नाम वास्तव में फ्लैग प्रेजेंटेशन कमेटी के सदस्यों में शामिल था जिन्होंने 14 अगस्त 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को प्रस्तुत किया था. लेकिन इस दस्तावेज से भी इस सवाल का जवाब नहीं मिला कि सुरैया तैयबजी ने राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन किया था या नहीं.
लेकिन सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म्स पर जो संदेश फैलाया जा रहा है उसमें स्पेलिंग्स से लेकर वंशावली तक तमाम तरह की गलत जानकारियां हैं. सुरैया तैयबजी ना तो आईसीएस अधिकारी थीं और ना ही उनके पति बदरुद्दीन तैयबजी बॉम्बे हाईकोर्ट के पहले चीफ जस्टिस थे.