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फैक्ट चेक: सीरिया की पुरानी तस्वीर हुई वायरल

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर किसी एनकाउंटर की नहीं बल्कि 2015 में सीरिया में हुई सैन्य कार्रवाई की है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
पुलवामा आतंकी हमले के बाद सेना की कार्रवाई में मारे गए आतंकियों की तस्वीर
सोशल मीडिया पर मौजूद पेज जैसे नमो
सच्चाई
वायरल तस्वीर का कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है, यह तस्वीर साल 2015 में सीरिया में हुई सैन्य कार्रवाई की है.

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पुलवामा आतंकी हमले के बाद कश्मीर से रोज एनकाउंटर की खबरें आ रही हैं. आतंकियों के साथ होने वाली इन मुठभेड़ों को लेकर सोशल मीडिया में फेक न्यूज की भी भरमार लग गई है. अब एक और तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है. तस्वीर में जमीन पर कतारों में लाशें दिख रही हैं. दावा किया जा रहा है कि पुलवामा हमले के बाद सेना रोज आतंकियों का खात्मा कर रही है.

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर किसी एनकाउंटर की नहीं बल्कि 2015 में सीरिया में हुई सैन्य कार्रवाई की है.

फेसबुक पेज "नमो" पर यह तस्वीर साझा की गई है. तस्वीर के ऊपर की तरफ "पुलवामा के रुझान" लिखा गया है, जबकि तस्वीर के नीच लगे बैंड पर लिखा गया है.

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"धैर्य रखें, यह मोदी है, शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, मोदी देश कभी झुकने नहीं देगा." खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को करीब 4500 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका था.

वायरल तस्वीर का सच जानने के लिए हमने इसे रिवर्स सर्च किया तो हमें ईरान की न्यूज एजेंसी तस्नीम न्यूज डॉट कॉम पर खबर मिली जिसके साथ इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था. तस्नीम न्यूज ने 24 अप्रैल 2015 को रिपोर्ट किया था कि सीरियाई  एयर फोर्स ने इदलिब के जिस्र अल—शुगौर गांव पर सैन्य कार्रवाई करते हुए 60 आतंकवादियों को मार गिराया था. हमें इस बारे में न्यूज वेबसाइट telegraph.co.uk पर भी एक खबर मिली जिसमें जिहादियों के इस गांव पर कब्जा करने का जिक्र है.

पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल हो रही तस्वीर 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद होने वाले एनकाउंटरों की नहीं बल्कि 2015 में सीरिया में हुई सैन्य कार्रवाई के बाद की है.

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