'फेक न्यूज़' पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से जारी की गई प्रेस रिलीज़ भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश के बाद वापस हो गई हो लेकिन अभी भी चिंताएं बरकरार हैं. बताया जा रहा है कि मंत्रालय डिजिटल, ऑनलाइन न्यूज़ कंटेंट पर फैल रही फेक न्यूज़ पर रोक लगाने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए एक महीने से काम चल रहा है.
अंग्रेजी अखबार इकॉनोमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, क्योंकि पिछले कुछ समय में डिजिटल क्षेत्र में काफी एफडीआई आया है. इसको लेकर मंत्रालय ने एक कमेटी भी बनाई थी, जो कि डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग और न्यूज़ पोर्टल्स के लिए पॉलिसी पर काम कर रही थी. अभी इस कमेटी की कुछ बैठकें हो चुकी हैं और जल्द ही इस बारे में ड्राफ्ट भी जारी किया जा सकता है.
इस कमेटी में I&B, कानून, टेलिकॉम, इंडस्ट्री मंत्रालय के अधिकारियों के साथ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, NBA, IBF के मेंबर्स भी शामिल हैं. कमेटी की बैठक में जो मुद्दा निकलकर सामने आया वह यह था कि अभी तक ऑनलाइन कंटेंट के लिए कोई रेगुलेशन नहीं है. और जो रेगुलेशन टीवी-प्रिंट मीडिया को लेकर बनाए गए हैं, वह ऑनलाइन के लिए लागू नहीं किया जा सकता है.
इसके तहत फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, ट्विटर भी इसके अंतर्गत ही आते हैं. सबसे पहले इनसे जुड़े कुछ रेगुलेशन आएंगे, जिसके बाद ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल से जुड़ा कोड ऑफ कंडेक्ट लाया जा सकता है. साफ है कि जिस तरह से ऑनलाइन मीडिया पर लोगों की निर्भरता बड़ी है, उसको देखते हुए मंत्रालय की कोशिश है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी ना फैले.
आपको बता दें कि हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फेक न्यूज़ से जुड़ी एक प्रेस रिलीज़ जारी की थी. जिसे पीएमओ के आदेश के बाद वापस ले लिया गया था. इसके अलावा प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया था कि ऐसे मामलों की सुनवाई प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ही करेगा. आपको बता दें कि सोमवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पत्रकारों की मान्यता की संशोधित गाइडलाइन जारी की थी. इसमें 'फेक न्यूज' से निपटने के लिए कई नए प्रावधानों को शामिल किया गया था. इसमें पत्रकारों की मान्यता खत्म करने जैसे कड़े प्रावधान भी शामिल हैं.