देश के शीर्ष न्यायविदों में से एक संविधान विशेषज्ञ फली नरीमन ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक का विरोध किया है. हेडलाइंस टुडे से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि बिल का मौजूदा स्वरूप उन्हें स्वीकार नहीं है और इसे वह सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.
नरीमन ने कहा कि बिल के राज्यसभा में पास होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट चाहे तो बिल पर रोक लगा सकता है. गुरुवार को लोकसभा में पास हुए इस बिल में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए छह सदस्यीय आयोग बनाने का प्रावधान है.
केंद्र सरकार के सामने अब इसे राज्य सभा में पास करवाने की चुनौती है, क्योंकि वहां बीजेपी के पास बहुमत नहीं है. गुरुवार को ही इस बिल को उच्च सदन में पेश किया जाएगा. बिल के कानून बनने के बाद न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम व्यवस्था खत्म हो जाएगी.
कोलेजियम की जगह बनेगा 6 सदस्यों का आयोग
बिल के लागू होने की सूरत में जजों की नियुक्ति के लिए जो आयोग बनेगा उसकी
अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस करेंगे. अन्य सदस्यों में देश के कानून मंत्री, दो
वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट के जज और दो अन्य प्रतिष्ठित लोग होंगे. उन दो लोगों का चुनाव
प्रधानमंत्री, भारत के चीफ जस्टिस और लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के नेता मिलकर
करेंगे. इन दो में से एक सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी,
अल्पसंख्यक या महिलाओं में से होगा.
इससे पहले चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने कोलेजियम व्यवस्था का बचाव किया था. उन्होंने कहा था कि कोलेजियम व्यवस्था पर उंगली उठाकर न्यायपालिका को बदनाम करने का अभियान चलाया जा रहा है जो लोकतंत्र में लोगों के विश्वास को डगमगा सकता है.