फर्जी पासपोर्ट मामले में संलिप्तता से इनकार करते हुए अंडर वर्ल्ड डान अबु सलेम ने बुधवार को कहा कि फर्जी पासपोर्ट मामले से उसका कोई लेना देना नहीं है और प्रत्यर्पण का आधार तैयार करने के लिये उसके खिलाफ यह झूठा प्रकरण बनाया गया है.
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लाये गये अबु सलेम ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रामगोपाल सिंह की अदालत में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर में कहा कि वह फर्जी पासपोर्ट के मामले में कभी भोपाल नहीं आया और न ही कभी नगर निगम भोपाल के कार्यालय गया.
अदालत ने इस मामले में 36 गवाहों के बयान के आधार पर उसके लिये 269 प्रश्न बनाये थे, लेकिन सलेम ने इन सभी प्रश्नों का उत्तर नहीं में देते हुए कहा कि इन प्रश्नों के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है और ये सवाल उससे संबंधित नहीं हैं. अदालत द्वारा जिन 36 गवाहों के बयान के आधार पर सवाल तैयार किये गये थे उनमें पासपोर्ट अधिकारी, अपराध शाखा के अधिकारी कर्मचारी, ट्रेवल एजेंट और नगर निगम शाखा के कर्मचारी शामिल थे.
सलेम ने अपने वकील के माध्यम से अदालत में एक हस्ताक्षरयुक्त आवेदन पेश करते हुए कहा कि पुलिस ने उसके हस्ताक्षर की जांच किसी हस्तलिपी विशेषज्ञ से नहीं करायी और फर्जी पासपोर्ट बनाने की जिस समय की घटना का उल्लेख किया गया है. उस समय वह दुबई में था और उस समय उसके वहां रहने के पर्याप्त सबूत भी उसके पास थे. सलेम ने कहा कि यदि स्थानीय पुलिस के स्थान पर सीबीआई द्वारा इस मामले की जांच की जाती तो उसे सारे प्रमाण मिल सकते थे.
लेकिन पुलिस की गिरफ्तारी के बाद अब वहां रहने के सारे प्रमाण खुर्द बुर्द हो चुके हैं. उसने कहा कि यदि सीबीआई द्वारा मामले की जांच की जाती तो सारी सच्चाई सामने आ जाती. सलेम ने प्रश्नों के उत्तर के दौरान कहा कि सरकारी गवाह बना सिराज पुलिस का मुखबिर है, लेकिन उससे उसका कोई वास्ता नहीं रहा. कडी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सलेम लगभग डेढ़ घंटे तक अदालत में मौजूद रहा तथा अदालती कार्यवाही समाप्त हो जाने के बाद उसे वापस ले जाया गया. अदालत ने इस मामले में अंतिम बहस के लिये आगामी 17 अगस्त की तिथी निर्धारित की है.