पंजाब और मध्य प्रदेश समेत देश के 7 राज्यों में एक जून यानी आज से किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. दरअसल, किसान यूनियनों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ 10 दिवसीय किसान आंदोलन का आह्वान किया है. साथ ही मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों ने सब्जियों और दूध को बाहर शहर न भेजने का ऐलान किया है. किसानों का ये आंदोलन सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भुगतान के वादे को जल्द से जल्द पूरा करने को लेकर है.
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> 'किसान अवकाश' के दौरान पंजाब के लुधियाना में किसानों ने सड़क पर दूध बहाया.
Punjab: Farmers spill milk on the road during their 10 days 'Kisan Avkash' protest, in Ludhiana's Samrala (Earlier visuals) pic.twitter.com/rh7Fp5uVnl
— ANI (@ANI) June 1, 2018
> पुणे के खेडशिवापुर टोल प्लाजा पर किसानों ने 40 हजार लीटर दूध बहाया.
> एमपी के मंदसौर में आंदोलन शुरू करने से पहले मंदिर किसान पहुंचे और भगवान का दूध से अभिषेक किया.
Punjab: Farmers in Faridkot thold back supplies like vegetable, fruits and milk from being supplied to cities, demanding farmer loan waiver and implementation of Swaminathan commission (Earlier visuals) pic.twitter.com/P4Zl0Y8lX1
— ANI (@ANI) June 1, 2018
> राष्ट्रीय किसान महासंघ ने 130 संगठनों के साथ विरोध प्रदर्शन और हड़ताल का ऐलान किया है.
> झबुआ में धारा 144 लगा दी गई है. किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है.
> आगरा में अपने वाहनों की फ्री आवाजाही कराने के लिए किसानों ने टोल पर किया कब्जा कर लिया और जमकर की तोड़फोड़ की.
> किसान सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भुगतान के वादे को पूरा करने को लेकर मांग कर रहे हैं.
> मंदसौर में पूरे शहर में पुलिस की तैनाती कर दी गई है ताकि, किसान आंदोलन के दौरान शांति कायम रह सके.
#MadhyaPradesh: Visuals of security in Mandsaur as farmers observe 10-days' 'Kisan Avkash' during which they will not supply vegetables, grains and to the cities. pic.twitter.com/SWVmAqYulp
— ANI (@ANI) June 1, 2018
> हालांकि, पंजाब में किसानों का एक हिस्सा इस विरोध में शामिल नहीं हुआ है. साथ ही कुछ किसानों ने आंदोलन के विपरित चंडीगढ़ के कुछ इलाकों में दूध सप्लाई किया.
> बर्नाला और संगरूर समेत पंजाब में कई जगह किसानों ने विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. पंजाब के किसानों ने भी 10 दिनों तक सब्जियों और डेयरी प्रोडक्ट्स को बाहर सप्लाई करने से इनकार कर दिया है.
> पंजाब के फरीदकोट में किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. यहां किसान सड़कों पर सब्जियां फेंक कर विरोध जता रहे हैं.
Punjab: Farmers in Faridkot throw their produce and hold back supplies like vegetable, fruits and milk from being supplied to cities, demanding farmer loan waiver and implementation of Swaminathan commission (Earlier visuals) pic.twitter.com/fefveQLHqo
— ANI (@ANI) June 1, 2018
> मंदसौर के किसानों ने बचे हुए दूध का इस्तेमाल मिठाई बनाने के लिए गांव वालों में वितरित करने का फैसला किया है. साथ ही यह मिठाई किसानों में ही बांटने की तैयारी है.
> मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों ने स्थानीय मंदिरों में दूध देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा है कि आंदोलन के दौरान दूध डेयरी को नहीं बेचेंगे.
> मंदसौर के एसपी ने इंडिया टुडे से कहा कि स्थिति पूरी तरह से सामान्य है. पुलिस की तैनाती कर दी गई है. अगर स्थिति सामान्य रहती है तो भी पुलिस को हटा भी दिया जाएगा.
> मंदसौर में किसान यूनियन ने 10 दिन के आंदोलन का ऐलान किया है, हालांकि व्यवस्था पूर्ण रूप से कंट्रोल में है.
> मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों ने सब्जी और दूध को शहर न भेजने का ऐलान किया है.
> मंदसौर के किसानों ने इंडिया टुडे से कहा कि इस आंदोलन में वो पिछले साल जैसी हिंसा नहीं चाहते. उनका कहना है कि, 'हम इस बार कोई ऐसी घटना नहीं चाहते, जिससे किसी का नुकसान हो. हमने बंद बुलाया है और हम घर में रहकर इसका समर्थन करेंगे.'
लोगों को हो सकती है परेशानी
बता दें कि किसानों के इस आंदोलन से रोजमर्रा की चीजों को लेकर लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. पिछले साल किसान संगठनों ने मध्य प्रदेश के मंदसौर में अपनी मांगों लेकर आंदोलन किया था, जिसमें राज्य पुलिस की फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई थी.
भारतीय किसान यूनियन ने 1 जून से 10 जून तक होने वाली हड़ताल सफल बनाने के लिए ग्रामों में सभाएं भी की गई थीं. इस दौरान किसानों से अपील की गई कि वे हड़ताल के दौरान फल, फूल, सब्जी और अनाज को अपने घरों से बाहर न ले जाएं, और न ही वे शहरों से खरीदी करें और न गांवों में बिक्री करें.
किसान क्यों कर रहे हैं आंदोलन
बता दें, किसान स्वामीनाथन कमीशन को लागू करने और कर्ज माफ करने समेत कई अन्य मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. किसानों के इतने लंबे हड़ताल की वजह से लोगों की मुश्किलें तो बढ़ेंगी ही. साथ ही सरकार के लिए भी मुश्किल पैदा होगी. गौरतलब है कि पिछले साल मध्यप्रदेश के मंदसौर से किसान आंदोलन की चिंगारी उठी थी. मंदसौर में फसलों के दाम बढ़ाने की मांगों को लेकर किसान आंदोलन कर रहे थे, जिसमें पुलिस ने गोलियां चला दीं, जिसमें 6 किसानों की मौत भी हो गई थी.
राहुल भी करेंगे मंदसौर का दौरा
आने वाली 6 जून को उन शहीद किसानों की बरसी है. इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदसौर जा रहे हैं. वे एक शासकीय महाविद्यालय के मैदान में जनसभा को संबोधित करेंगे. यह जनसभा किसानों की शहादत के एक वर्ष पूरा होने पर आयोजित की जा रही है. हालांकि, केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छह जून को मंदसौर में होने वाली किसान रैली राजनीति से प्रेरित है.
राजनाथ सिंह ने कहा, 'जब भी चुनाव होते हैं, कांग्रेस के अध्यक्ष किसी न किसी प्रकार से इसी तरह के काम करते हैं. वह कलावती को भूल गये. उत्तर प्रदेश के भट्टा-पारसौल के किसान आंदोलन को भूल गये. जो अब वह मंदसौर की बात कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि क्या कोई इस सच्चाई को नकार सकता है कि शिवराज सिंह चौहान गरीबों एवं किसानों के प्रति बेहद संवेदनशील हैं.