नोटबंदी के फैसले के बाद से ही बैंकों और डाकघरों में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. इस भीड़ में सामान्य नागरिक के साथ किसान भी शामिल हैं. अचानक लिए इस निर्णय से मानो जनजीवन ठप हो गया है. जिसे देखो वो नोटबंदी से परेशान है.
नवंबर माह में किसान अपने खेतों में गेंहू, चना इत्यादि रबी की फसल की बुआई करते हैं. लेकिन नोटबंदी का असर किसानों के लिए काफी परेशानी लेकर आया है. किसानों के पास बुआई करने के लिए पैसे नहीं है.
किसानों को नगद की बजाये मिल रहा है चेक
किसान अपनी फसल को मार्किट में लाकर बेच तो रहे हैं तो उन्हें नगद की ऐवज में चेक दिया जा रहा है. चेक को बैंक से कैश होने के लिए 7 से 8 दिन लग रहे हैं. मुसीबत यहां पर भी खत्म नहीं हुई, बैंकों से जो नोट
मिल रहे हैं वो 2000 की शक्ल में हैं जिसे छुट्टे करने के लिए किसान को एक दुकान से दुसरी दुकान पर भटकना पड़ रहा है.
दुकानदारों को भी नोटबंदी का फटका
बीज भण्डार की दुकानें खाली पड़ी हैं. जहां इस समय इन दुकानों में किसानो की बीज खरीदने के लिए भीड़ दिखाई देती थी आज ये दुकानें खाली पड़ी हैं. क्योंकि किसानों के पास पैसा नहीं है. दुकानदारों का भी कहना है
कि किसान बीज खरीदने नहीं आ रहे हैं. क्योंकि उनके पास पैसा नहीं हैं. नोटबंदी से उनके व्यवसाय में बहुत कमी आई है. अक्टूबर माह में जो व्यवसाय 10 लाख तक था वहीं नवबंर माह में वो 1 लाख तक ही
हुआ.
बुआई में देरी का कारण नोटबंदी
बैंक या अनाज मार्किट से पैसे न मिलने के कारण आज होने वाली बुआई देरी से करने पर किसान मजबूर हो गया है. किसानों का मानना है कि गेंहू की बुआई देर से होने पर फसल पर असर पड़ेगा.