केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सुबोधकांत सहाय ने किसानों और गैर सरकारी संगठनों से खाद्य प्रसंस्करण इकाई खोलने में सहायता की सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि इससे लोगों की आय के साथ साथ देश में रोजगार के अवसर बढेंगे.
खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ने कहा कि सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत इस उद्योग के लिए भारी अनुदान दे रही है. पूर्वोत्तर क्षेत्र में इस पर विशेष जोर दिया जा रहा है और इस इलाके में इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए 75 प्रतिशत या अधिकतम 50 करोड़ रुपए तक अनुदान देने की योजना है. इसी तरह इकाइयों की स्थापना के लिए 33 प्रतिशत या अधिकतम 50 लाख रुपये तक का अनुदान मिल सकता है.
सहाय ने यहां देश भर से एकत्रित निवेशकों के एक सम्मेलन में कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में प्रति इकाई निवेश से अन्य उद्योगों की तुलना में रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न होते हैं. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढावा दे कर 30 प्रतिशत फल और सब्जियों को व्यर्थ नष्ट होने से बचाया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘इतना महत्वपूर्ण क्षेत्र होने के बावजूद बैंक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए रिण के आवेदनों की मंजूरी में सामान्यत: उदासीनता दिखाते हैं और बड़ी कंपनियों की मदद करने को ही प्राथमिकता देते हैं.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जहां पश्चिम बंगाल सरकार अपने यहां अनुबंध पर खेती की अनुमति देने या न देने का विचार ही कर रही है वहीं अरुणाचल प्रदेश ने अनुबंध खेती की अद्भुत नीति बना रखी है जिसमें 50 वर्ष के जमीन के पट्टे और 99 प्रतिशत तक कर में छूट का प्रावधान है. बावजूद इसके अरुणाचल प्रदेश में पांच वर्ष में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना के लिए उनके मंत्रालय के पास केवल एक प्रस्ताव आया है.
सहाय ने अपने अधिकारियों को राज्य सरकार के साथ मिल कर अरुणाचल प्रदेश में संतरे और अन्य फलों के प्रसंस्करण का केंद्र स्थापित करने के विषय में व्यापक परियोजना रपट तैयार करने के लिए कहा है.
खाद्य प्रसंस्करण सचिव अशोक सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय मंत्रालय पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी निवेशकों की इसी तरह की बैठकें आयोजित कर निवेशकों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करेगा.