जम्मू कश्मीर पर दिल्ली से बातचीत की कोशिशों को अलगावाद की आग ने पलीता लगाने का काम शुरू कर दिया है. हुर्रियत जैसों की जुबान पर PAK परस्ती की एक्सट्रा लेयर चढ़ी हुई है. लेकिन सरकार और सत्ता के गलियारों वालों ने भी मौके देखकर रंग बदलना शुरू कर दिया है.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को अपने कश्मीर की थोड़ी बहुत फिक्र है तो पाक कब्जे वाले कश्मीर की कुछ ज्यादा ही. फारूक को लगता है कि पाकिस्तान कब्जे वाला कश्मीर PAK का है. लेकिन देश उनको साफ कर देना चाहता है कि कि कश्मीर पूरा हमारा था- हमारा है और हमारा रहेगा. रही सही कसर अभिनेता ऋषि कपूर ने पूरी कर दी, जिन्हें पाकिस्तान में अपनी जड़ों की तलाश में फारूक का बयान सही लगता है.
आजतक के कार्यक्रम दंगल में इन पांच सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश की गई
आजतक के खास कार्यक्रम दंगल में राजनीतिक विश्लेषक अशोक पंडित ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला PoK को लेकर गलतबयानी कर केवल अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं वो एक व्यापारी की तरह बात कर रहे हैं. अब चुनाव आने वाला है और फारूक राजनीतिक बोली बोलने में अभी से जुट गए हैं. उन्हें PoK को लेकर इस तरह के बयान देते समय शर्म आनी चाहिए थी. उनकी तीन पीढ़ियों ने जम्मू-कश्मीर में राज किया है. जम्मू-कश्मीर की एक-एक इंच जमीन पर भारत का अधिकार है.
उन्होंने आगे कहा कि फारूक अब्दुल्ला पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं. आज की तारीख में घाटी की इस बदहाली के लिए अब्दुल्ला परिवार खासतौर पर जिम्मेदार है. उन्हें अपने बयान को लेकर जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ-साथ देश से माफी मांगनी चाहिए. ऐसे लोग कभी नहीं चाहते हैं कि घाटी में शांति स्थापित हो. क्योंकि जब-जब कश्मीर में शांति बहाली और भटके हुए नौजवानों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश हुई तब-तब फारूक जैसे राजनेता पाकिस्तान की भाषा बोलने लगते हैं.